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दबिश: नौकरी के नाम पर दर्जन भर लोगों से लाखों की ठगी करने वाले 5 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज
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- नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा
- धरमपेठ मेें खोल रखा था फाइनेंस सर्विस के नाम पर अड्डा
- आरोपी दम्पति सहित अन्य आरोपियों की नहीं हुई है गिरफ्तारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर । नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। दर्जनभर से भी ज्यादा लोगों को लाखों रुपए से चूना लगाया गया है। बर्डी थाने में 5 आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
झांसा देकर मिठाई बांटी : आरोपियों में सूरज राजकुमार घोरपडे (35), उसकी पत्नी सोनाली (33), वर्धा जिला के कवठा, राजीव हिरास्वामी रेड्डी (47) मानकापुर, मिर्जा वसीम बेग रशिद बेग (40) यवतमाल और शैलेष बाबाराव कोल्हे (45) मानेवाड़ा लक्ष्मीनगर निवासी है। घटना 1 नवंबर 2018 से 6 जून 2023 के दरमियान हुई है। इसके लिए आरोपियों ने धरमपेठ क्षेत्र के सौंदर्य इंस्टीटयूट एंड फाइनांशियल सर्विस में फर्जीवाड़े का अड्डा खोला था। आरोपी घोरपडे दंपति वर्ष 2018 में शिकायतकर्ता पिंकेश विट्ठल बोरकर (32) नाईक नगर निवासी के पड़ोस में रहने के लिए आए हुए थे। इससे उनमें मित्रता हो गई। आयुध निर्माणी में नौकरी लगाने का झांसा देकर घोरपडे दंपति ने मिठाई बांटी थी। उसके बाद शिकायतकर्ता को भी वहीं पर नौकरी लगाने का झांसा देकर आरोपी दंपति ने शिकायतकर्ता की राजीव से मुलाकात कराई।
4 लाख रुपए मांगे थे : वर्ग क्र.1 की नौकरी दिलाने के बदले में 4 लाख रुपए मांगे गए थे। फर्जी मेडिकल टेस्ट और इंटरव्यू लिए गए। लाखों रुपए लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमाए गए थे। घटित प्रकरण से दर्जनभर से भी ज्यादा लोगों को 43 लाख 50 हजार रुपए से ठगा गया है। फर्जीवाड़े का यह सारा गोरखधंधा धरमपेठ के सौंदर्य इंस्टीटयूट एंड सर्विसेस के कार्यालय से चलाया जा रहा था।
थाने में शपथपत्र मांगने पर संबंधित पुलिस पर होगी कार्रवाई : गुम हुई वस्तु की शिकायत करते समय पुलिस द्वारा शपथपत्र मांगना गैर कानूनी है। ऐसा मांगने वाले संबंधित थाने के अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ काम में लापरवाही बरतने की कार्रवाई हो सकती है। बुधवार को पुलिस आयुक्त डॉ. रवींद्र सिंगल ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
इस प्रक्रिया में समय और पैसा बर्बाद होता है : मोबाइल, महत्वपूर्ण दस्तावेज आदि वस्तुएं गुम होने पर कई बार देखने में आया है कि थाने में शिकायत करते समय शिकायतकर्ता से सबंधित वस्तु के बारे में शपथपत्र लाने के लिए कहा जाता है। जब तक शपथपत्र नहीं लाया जाता, तब तक पुलिस उस वस्तु की खोजबीन करना तो दूर, उसकी कोई सुध नहीं लेती। शपथपत्र लाने के बाद ही उसकी शिकायत दर्ज की जाती है, जबकि ऐसा करना गैरकानूनी है। बेवजह शपथपत्र मांगने से शिकायतकर्ता का पैसा और टाइम खर्च होता है। इसके लिए कई बार उसे तहसील कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं, जबकि कुछ लोग तो पैसे और टाइम बर्बाद होने का सोचकर शिकायत ही नहीं करते हैं।
Created On :   30 May 2024 1:59 PM IST