नाराजगी: सारस पर कोर्ट गंभीर , कहा- बैठक के 15 मिनट पहले सूचना, तो हेलिकॉप्टर दिया जाए

सारस  पर कोर्ट गंभीर , कहा- बैठक के 15 मिनट पहले सूचना, तो हेलिकॉप्टर दिया जाए
  • जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समितियां गठित
  • संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजी जताई
  • बैठकों के लिए तीन दिन पहले सूचना देने के निर्देश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों के संवर्धन के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समितियां गठित की हैं। मामले पर हुई सुनवाई में इस समिति में एक एनजीओ को बैठक से पंद्रह मिनट पहले बुलाने की बात पर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया गया। कोर्ट ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजी जताई। साथ ही मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर उनसे 15 मिनट में पहुंचने की उम्मीद करते हैं, तो उन्हें हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराकर दें।

तीन दिन पहले सूचना दें : हाल के वर्षों में नागपुर विभाग के गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। समाचार पत्रों में इस विषय से सबंधित खबरें प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। तब एनजीओ के वकील हिमांशु खेड़ीकर ने समिति की बैठक के बारे में उपरोक्त जानकारी दी। इस पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर नाराजगी जताई। साथ ही कोर्ट ने यह भी लिखित आदेश दिया गया कि अब से बैठकों के लिए तीन दिन पहले सूचना दी जानी चाहिए। मामले में न्यायालय मित्र के तौर पर एड. राधिका बजाज, राज्य वेटलैड प्राधिकरण की ओर वरिष्ठ विधिज्ञ एस. के. मिश्रा, राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे और वन विभाग के ओर से एड. कार्तिक शुकुल ने पैरवी की।

समझौते के मुताबिक काम शुरू : समितियाें को वेटलैंड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता के लिए राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की ओर से एक जिम्मेदार अधिकारी नियुक्त करने के कोर्ट ने आदेश दिये थे, लेकिन राज्य वेटलैंड प्राधिकरण में सिर्फ दो अधिकारी कार्यरत हैं। इसके अलावा एक भी कर्मचारी कार्यरत नहीं है। इसके चलते राज्य वेटलैंड प्राधिकरण ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मॅनेजमेंट (एनसीएससीएम) इस शोध संस्था के साथ समझौता करार किया गया है। यह शोध संस्था गोंदिया, भंडारा और चंद्रपुर के जिलाधिकारी को वेटलैंड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता करने वाली है। बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य वेटलैंड प्राधिकरण ने कोर्ट को समझौते के मुताबिक काम शुरू होने की जानकारी दी। इस पर कोर्ट अगली सुनवाई में इस संबंध में शपथ-पत्र दायर करने के आदेश दिए।

Created On :   21 March 2024 1:52 PM IST

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