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नागपुर: मेडिकल अस्पताल का रोड़ा हटा, बढ़ेंगीं सुविधाएं
- टीबी वार्ड परिसर के कैंसर अस्पताल का रास्ता साफ
- निर्माण कार्य मंजूर
- मेडिकल अस्पताल में सुविधाएं बढ़ेंगीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बाम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने टीबी वार्ड परिसर में बनने वाले कैंसर अस्पताल के निर्माण कार्य को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। विजय कन्स्ट्रक्शन ने यह याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार, नागपुर महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) ने मेडिकल कॉलेज और रुग्णालय के अंतर्गत टीबी वार्ड परिसर में कैंसर अस्पताल के निर्माण के लिए टेंडर मंगवाये थे। याचिकाकर्ता कन्स्ट्रक्शन कंपनी सहित कुल पांच कंपनी ने इस निविदा प्रकिया में भाग लिया था, लेकिन याचिकाकर्ता कंपनी की तकनीकी बोली रद्द कर दी गई। डी. वी. पटेल एंड कंपनी और शुभम पीसीसी प्रा. लि. को प्रवेश दिया गया, ताकि वो वित्तीय बोलियों में भाग ले सके। इसके चलते डी. वी. पटेल एंड कंपनी के वित्तीय बोलियों को स्वीकार करते हुए इस कंपनी को 14 अगस्त 2023 को कैंसर अस्पताल के निर्माण का काम दिया गया। याचिकाकर्ता ने एनएमआरडीए के इस आदेश को चुनौती दी थी।
...और यह निर्माण कार्य मंजूर
याचिका पर न्या. अतुल चांदूरकर और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। एनएमआरडीए ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि डी. वी. पटेल एंड कंपनी ने निर्माण कार्य के लिए लगाई बोली से सरकार की 4.3 करोड़ की निधि बचत हो रही है। इसी बात को ध्यान में लेते हुए डी. वी. पटेल एंड कंपनी का यह निर्माण कार्य मंजूर किया गया। कोर्ट ने सभी का पक्ष सुनते हुए याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से एड. ऋषिकेश चितले, एनएमआरडीए की ओर से एड. गिरीश कुंटे और डी. वी. पटेल एंड कंपनी की ओर से एड. एन. सी. फडनीस से पैरवी की।
लिनियर एक्सीलेरेटर, कार्डियक लैब जल्द
बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को मेडिकल में लिनियर एक्सीलेरेटर, डिजिटल कार्डियक लैब के लिए फंड उपलब्ध कराने के आदेश दिए। साथ ही मेडिकल के डीन को अस्पताल के लिए आवश्यक वैद्यकीय उपकरण की सूची अपडेट करने को कहा। मेडिकल में अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाएं और उससे रुग्णों को अच्छा इलाज मिले, इस बात पर कोर्ट ने जोर दिया। अदालत के इस आदेश से मेडिकल में अब जल्द ही लिनियर एक्सीलेरेटर और डिजिटल कार्डियक लैब लगाने का रास्ता साफ हो गया है।
चार सप्ताह का समय
शहर के मेयो और मेडिकल अस्पतालों की खराब हालत और वहां की असुविधाओं को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका प्रलंबित है। मामले पर न्या. अनुजा प्रभु देसाई और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने लिनियर एक्सीलेरेटर खरीदने के लिए 23.20 करोड़ का फंड चार सप्ताह के भीतर जीएमसीएच नागपुर के खाते में जमा करने के राज्य सरकार को आदेश दिए। इसके लिए जीएमसीएच के डीन को महाराष्ट्र मेडिकल गुड्स प्रोक्योरमेंट अथॉरिटी को प्रस्ताव भेजने के कहा है। मशीन खरीदने के लिए निविदा निकालने को लेकर महाराष्ट्र मेडिकल गुड्स प्रोक्योरमेंट अथॉरिटी ने क्या कदम उठाए, इस बारे में कोर्ट को जानकारी देनी है।
अगली सुनवाई 10 जनवरी को
डिजिटल कार्डियक लैब के लिए 5.67 करोड़ का मिला हुआ फंड आरबीआई के खाते में जमा है। वो फंड चार सप्ताह के भीतर जीएमसीएच नागपुर के खाते में जमा करने के कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं। इसके अलावा मेडिकल में आवश्यक वैद्यकीय उपकरण खरीदने के लिए 24.31 करोड़ का आरबीआई के खाते में जमा निधि चार सप्ताह के भीतर जीएमसीएच नागपुर के खाते में जमा करने के कोर्ट ने प्रधान सचिव और जिलाधिकारी को आदेश दिए हैं। न्यायालय मित्र के तौर पर एड. अनूप गिल्डा, राज्य सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील फिरदौस मिर्झा, एड. डी. पी. ठाकरे और मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक ने पैरवी की। मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी को रखी गई है।
व्यापक योजना तैयार करें
मेडिकल के डॉक्टरों ओर कर्मचारीयों की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करने के लिए पुलिस उपायुक्त की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय सुरक्षा समिति कोर्ट ने गठित की है। कोर्ट ने इस सुरक्षा समिति को चार सप्ताह में एक व्यापक योजना तैयार करने के आदेश दिए हैं।
मुख्य प्रवेशद्वार खाली रहे
जब तक मेडिकल के सुरक्षा के लिए व्यापक योजना तैयार नहीं होती, तब तक मेडिकल के मुख्य प्रवेशद्वार के सामने फेरीवालों को फिर से अतिक्रमण न हो यह सुनिश्चित करने के आदेश कोर्ट ने सुरक्षा समिति को दिए हैं।
233 अतिरिक्त सुरक्षा रक्षक की जरूरत
मेडिकल में 233 अतिरिक्त सुरक्षा रक्षक नियुक्त किए जाएं और इसके लिए 7.97 करोड़ फंड मिले, इसलिए मेडिकल के डीन ने चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, मुंबई के आयुक्त को पत्र भेजा था। इस पत्र पर चार सप्ताह के भीतर उचित निर्णय लेने के कोर्ट ने आदेश दिए हैं।
Created On :   25 Dec 2023 1:02 PM GMT