संकट: व्यापारिक गतिविधियों वाले इलाकों में हाइड्रेंट सिस्टम लुप्त होने की कगार पर

व्यापारिक गतिविधियों वाले इलाकों में हाइड्रेंट सिस्टम लुप्त होने की कगार पर
  • संकरी गलियों में आग लगने के समय होते हैं कारगर
  • 116 स्थानों पर स्थापित करने का प्रस्ताव
  • ठेका एजेंसियां झाड़ रहीं पल्ला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में भीड़ और व्यापारिक गतिविधियों वाले इलाकों में अग्निशमन सुरक्षा को लेकर अनदेखी हो रही है। शहर के व्यापारिक इलाकों सीताबर्डी, मानेवाड़ा, सदर समेत अनेक इलाकों में फायर हाइड्रेंट नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में इन इलाकों में आग लगने की स्थिति होने पर अग्निशमन दल के वाहनों के आने का इंतजार करना पड़ता है। इतना ही नहीं संकरी गलियों में आग की भयावह स्थिति में दमकल वाहनों के बजाय फायर हाइड्रेंट बेहतरीन विकल्प के रूप में आगजनी पर काबू पा सकते हैं, लेकिन अधिकतर स्थानों पर अतिक्रमण, सीमेंट रोड और फुटपाथ में दबने के चलते हाइड्रेंट क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर पा रहे हैं। लंबे समय से मनपा प्रशासन शहर में 116 स्थानों पर हाइड्रेंट को स्थापित करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है, लेकिन ठेका एजेंसियों की ओर से जटिल शर्त का हवाला देते हुए हिस्सेदारी नहीं ली जा रही है।

कभी 1000 थे, अब 29 ही नजर आ रहे हैं : साल 2015 में मनपा के अग्निशमन और आपातकालीन सेवा विभाग द्वारा करीब 116 स्थानों पर हाइड्रेंट स्थापित करने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई भी पहल नहीं हो पाई है। मनपा के आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक साल 1960 के दशक के आरंभ में शहर में 1000 से अधिक हाइड्रेंट मौजूद थे, लेकिन प्रशासन की अनदेखी और रख-रखाव के अभाव में अब केवल 29 ही नजर आ रहे हैं। अग्निशमन विभाग की अंदरूनी रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से भी महज 9 ही सुचारु अवस्था में मौजूद हैं।

8 बार निविदा प्रक्रिया, परिणाम शून्य : कुछ माह पहले मनपा के सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने नए हाइड्रेंट को स्थापित करने को लेकर निविदा प्रक्रिया की थी, लेकिन ठेका एजेंसियों की ओर से हिस्सेदारी नहीं लेने से मामला अटक गया। इस प्रक्रिया में करीब 2.85 करोड़ रुपए से नए हाइड्रेंट स्थापित होने थे। पीएचई विभाग के मुताबिक करीब 8 से अधिक बार निविदा प्रक्रिया की गई है। निविदा प्रक्रिया में जटिल शर्ताे के चलते भी ठेका एजेंसियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इतना ही नहीं, शहर में मौजूद पुराने हाइड्रेंट की दुरुस्ती और देखभाल को लेकर भी पहल नहीं हो पाई है। साल 2015 में मनपा की ओर से पुराने हाइड्रेंट की दुरुस्ती के लिए 20,683 रुपए के खर्च को प्रस्तावित किया गया था, जबकि नए हाईड्रेंट को स्थापित करने के लिए 1 लाख रुपए का प्रस्ताव रखा गया था। करीब 116 स्थानों पर हाइड्रेंट स्थापना के लिए 2.85 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाया गया था।

क्या है हाइड्रेंट सिस्टम : अग्निशमन उपाय योजना के तहत हाइड्रेंट सिस्टम का खासा महत्व होता है। भीड़ वाले इलाके, टिंबर, फर्नीचर निर्माण समेत औद्योगिक और वाणिज्य गतिविधियों वाले इलाकों में प्राथमिक तौर आपदा प्रबंधन के लिए हाइड्रेंट को स्थापित किया जाता है। हाइड्रेंट की पाइप लाइन को जलापूर्ति की पाइप लाइन से जोड़कर तैयार किया जाता है, ताकि अागजनी होने पर दमकल वाहनों के पहुंचने से पहले हाइड्रेंट की सहायता से आग पर काबू पाया जा सके। इसके साथ ही दमकल वाहनों को आग पर काबू पाने के लिए पर्याप्त जल मुहैया हो सके। आग पर काबू पाने के लिए फायरमैन को लगातार पानी लेकर आग पर स्प्रे किया जाता है। ऐसे में आग पर कम नुकसान के साथ पूरी तरह से काबू पाने में सहायता होती है। शहर में घाट रोड, इतवारी, कलमना परिसर में अब भी हाइड्रेंट सड़क किनारे नजर आते हैं।

मरम्मत करने का हो रहा प्रयास : अग्निशमन विभाग ने कई बार हाइड्रेंट की अवस्था को लेकर सर्वेक्षण किया है। इस सर्वेक्षण में अधिकांश हाइड्रेंट को फुटपाथ के भीतर दबाने और अतिक्रमण करने को लेकर खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक बदहाल फायर हाइड्रेंट से तेजी से विकसित हो रहे शहर में खतरे की संभावना बनी हुई है। ऐसे में नए सिरे से हाइड्रेंट को दुरुस्त करने और नए हाइड्रेंट को स्थापित करने की दिशा में प्रयास हो रहा है। - बी. पी. चंदनखेड़े, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, मनपा

Created On :   26 March 2024 11:04 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story