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नागपुर: आरोपी के विरुद्ध दायर एफआईआर रद्द, कोर्ट ने कहा-सहमति से संबंध - रेप नहीं
- यह शादी के झूठे वादे का मामला नहीं
- कोर्ट ने कहा-सहमति से संबंध - रेप नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शादी के नाम पर बरगला कर बार बार शारीरिक संबंध बनाने वाले आरोपी के विरूद्ध दायर एफआईआर और दोषारोपण पत्र रद्द करने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि सहमति से संबंध दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। न्या. विनय जोशी और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने आरोपी के विरूद्ध दायर एफआईआर और दोषारोपण पत्र रद्द करने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने अपने निरीक्षण में कहा कि दुष्कर्म और सहमति से शारीरिक संबंध बनाने में बहुत अंतर है। शारीरिक संबंध झूठ बोलकर या बरगलाकर स्थापित किया गया, यह देखना जरूरी है। अगर आरोपी का मकसद सिर्फ संबंध बनाना ही है और अपने मकसद को पाने वो पीड़िता को शादी करने का लालच देकर बरगलाता है और फिर संबंध बनाता है, तो वो दुष्कर्म माना जाएगा। लेकिन मंशा में खोट नजर नहीं आता और भविष्य में किसी कारणवश आरोपी शादी करने से इनकार कर देता है तो उसको दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। ऐसे भी मामले होते हैं, जब प्रेम व भावनात्मक होकर संबंध बनाए जाते हैं, ऐसे मामलों को दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रख सकते। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के प्रमोद सूर्यभान पवार बनाम स्टेट आफ महाराष्ट्र व डाक्टर ध्रुवाराम सोनार बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र के निर्णय के आधार पर यह फैसला सुनाया।
यह है मामला
आरोपी शुभम दिकोंडवार की फेसबुक के माध्यम से पीड़िता से मित्रता हुई थी। रिश्तेदार होने के कारण उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों ने इसकी जानकारी अपने-अपने परिवार को दी। परिवारों की सहमति से 5 नवंबर 2022 को इनकी सगाई हुई। साथ ही 11 मई 2023 को शादी तय की गई। सगाई के बाद सोने की चेन और शादी के कपड़ों को लेकर दोनों परिवारों में विवाद हुआ। इसलिए 18 मार्च 2023 को दोनो परिवार व रिश्तेदारों की बैठक हुई। बैठक में समस्या सुलझाने के जगह दोनाे परिवारों में विवाद और बढ़ गया। मारपीट तक हुई। इसलिए आरोपी शुभम ने शादी करने से इनकार कर दिया। दूसरे दिन शुभम ने पीड़िता और उसके रिश्तेदाराें के खिलाफ शिकायत दर्ज की। यह जानकारी मिलते ही पीड़िता ने भी आरोपी शुभम और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ धंतोली पुलिस थाने में दुष्कर्म और दहेज प्रतिबंध कानून के तहत शिकायत दर्ज की। यह एफआईआर और दोषारोप पत्र रद्द करने की मांग करते हुए आरोपी शुभम और उसके रिश्तेदारों ने यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. राजेश नायक ने पैरवी की।
यह शादी के झूठे वादे का मामला नहीं
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, इस मामले में आरोपी का इरादा पीड़िता से झूठा वादा करके संबंध स्थापित करना नहीं था। यह शादी के झूठे वादे का मामला नहीं है, क्योंकि शादी तय हो चुकी थी। शादी की व्यवस्था दोनों पक्षों ने की थी। इसलिए झूठा वादा करके यौन संबंध स्थापित करने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही पीड़िता की ओर से वाट्सएप चैट की दायर की गई प्रतियां शादी करने के किसी भी वादे को खुलासा नहीं करती हैं। इसके अलावा को दोषारोप पत्र के रूप में प्रस्तुत पुलिस के कागजात में अपराध की सामग्री पूरी नहीं होने को लेकर कोर्ट आरोपी की याचिका मंजूर करते हुए उक्त आदेश जारी किए।
Created On :   20 May 2024 5:28 PM IST