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न्याय की आस..: बुजुर्ग सास-ससुर ने कोर्ट में लगाई गुहार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण के आदेश को चुनौती देते हुए बुजुर्ग सास-ससुर ने बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है। मुआवजा राशि का गलत वितरण करने का दावा याचिका में किया गया है। मामले पर न्या. वृषाली जोशी के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इन्श्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक और बहू को नोटिस जारी करते हुए जवाब दायर करने के आदेश दिये है। साथ ही अगली सुनवाई तक खाते से पैसे निकालने पर कोर्ट ने बहू पर रोक लगाई है।
यह है पूरा मामला : बुजुर्ग दंपति ने यह याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, उनके जवान बेटे की 17 जून 2017 को नई दिल्ली में एक मोटर वाहन दुर्घटना में मौत हो गई। इसलिए परिवार ने मुआवजा राशि मिलने की मांग करते हुए मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण नागपुर में याचिका दायर की। याचिका में बुजुर्ग दंपति, बहू और छोटा बेटा दावेदार थे। मुआवजा मंजूर करते हुए प्राधिकरण ने यह देखा कि छोटा बेटा कमाता है, इसलिए उसका नाम हटा दिया गया। दूसरी ओर सास-ससुर ने प्राधिकरण में अर्जी दायर करते हुए मुआवजा राशि का सास, ससुर और बहू के बीच एक समान वितरण करने की मांग की थी, लेकिन प्राधिकरण ने बहू को 45 लाख 97 हजार रुपये और सास-ससुर को प्रत्येक 7 लाख 50 हजार मुआवजा राशि मंजूर की। मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण के इस आदेश के विरोध में बुजुर्ग सास-ससुर ने यह याचिका दायर की है। कोर्ट ने याचिका पर 29 नवंबर को अगली सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. राजू कडू ने पैरवी की।
बहू की हो गई दूसरी शादी : याचिका के अनुसार, बहू सिर्फ एक ही महीना पति के साथ रही। 17 जून 2017 को मोटर वाहन दुर्घटना में उसके पति की मौत हो गई। अंतिम संस्कार होने के बाद बहू तुरंत अपने मां-बाप के घर वापस चली गई। 4 जून 2021 को बहू ने दूसरी शादी भी कर ली।
सास-ससुर के आय का काेई स्रोत नहीं : याचिकाकर्तांओं ने याचिका में दावा किया है कि बहू की दूसरी शादी हुई है और बहू पर कोई दूसरा व्यक्ति निर्भर नहीं है। दूसरी ओर हम बुजुर्ग हैं और हमारे आय का कोई स्रोत नहीं है। इसलिए हमें पैसे की ज्यादा जरूरत है।
Created On :   28 Nov 2023 6:12 AM GMT