महा पर्व: बाबासाहब के अनुयायियों से खिल उठी दीक्षाभूमि,संविधान ने चायवाले को बनाया प्रधानमंत्री

बाबासाहब के अनुयायियों से खिल उठी दीक्षाभूमि,संविधान ने चायवाले को बनाया प्रधानमंत्री
  • बुद्ध, आंबेडकरी साहित्य से सजीं दुकानें
  • युवक-युवतियों ने लिया सेल्फी का आनंद
  • शहर में जगह-जगह किया गया भोजनदान
  • बाबासाहब के संविधान ने बनाया चायवाले को प्रधानमंत्री

डिजिटल डेस्क, नागपुर. भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की 133 वीं जयंती के अवसर पर बाबासाहब को अभिवादन करने के लिए रविवार को अनुयायियों भीड़ से दीक्षाभूमि खिल उठी। सुबह से देर रात तक दीक्षाभूमि पर अनुयायियों की भीड़ उमड़ पड़ी. एक ओर रोशनाई और पंचशील ध्वज से सजाई गई दीक्षाभूमि ने सबका ध्यान आकर्षित किया, तो दूसरी ओर दीक्षाभूमि पर युवक-युवतियों ने सेल्फी लेने का आनंद लिया। विशेष बात यह थी कि लोकसभा चुनाव के कारण पुलिस का भी तगड़ा बंदोबस्त था। दीक्षाभूमि स्मारक समिति और अखिल भारतीय धम्मसेना के सहयोग से डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की जयंती मनाई गई। समिति के अध्यक्ष भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई, डाॅ. सुधीर फुलझेले ने तथागत गौतम बुद्ध और डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की मूर्ति को पुष्पमाला अर्पित कर नमन किया। इस दौरान अनुयायियों ने त्रिशरण पंचशील ग्रहण किया। इस अवसर पर समिति के पदाधिकारी आनंद फुलझेले, एन.आर. सुटे, विलास गजघाटे, डाॅ. चंद्रशेखर मेश्राम, महाविद्यालय के प्राचार्य, प्राध्यापक, कर्मचारी और समता सैनिक दल के पदाधिकारी उपस्थित थे। दीक्षाभूमि परिसर में बुद्ध आंबेडकरी साहित्य, मूर्तियां, तस्वीरें, स्लोगन लिखे हुए टी-शर्ट और अन्य दुकानें सजी हुई थीं। शाम को अनुयायियों की भीड़ देखते हुए काचीपुरा चौक से दीक्षाभूमि परिसर के लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे चौक तक बैरिकेट लगाए गए थे। इस मार्ग की यातायात दूसरी ओर मोड़ दी गई। काचीपुरा चौक, लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे चौक और दीक्षाभूमि परिसर में जगह-जगह भोजनदान और खिर वितरण किया गया। दीक्षाभूमि मुख्य प्रवेशद्वार के सामने बिस्कीट का वितरण किया गया। साथ ही जगह-जगह ठंडे पानी की व्यवस्था की गई। शहर में भी दिन भर जगह-जगह भोजनदान किया गया। ढोल-ताशे और आतिशबाजी के साथ शहर के हर कोने में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की जयंती बड़े उत्साह से मनाई गई।

इंदौरा बुद्ध विहार, संविधान चौक में भी अभिवादन : भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई के हाथाें इंदौरा बुद्ध विहार, दीक्षाभूमि, संविधान चौक और हवाई अड्डा क्षेत्र में बाबासाहब के पुतले को पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर भंते नागसेन, प्रज्ञा बोधि, भंते भीमा बोधि, धम्मविजय, अश्वजीत, धम्मबोधि, भिक्खुनी संघप्रिय, संघशीला, विशाखा, जापान के तीन भंते और 8 उपासक सहित बड़ी संख्या में धम्मसेना पदाधिकारी, उपासक और उपासिकाएं उपस्थित थे।

बाबासाहब के संविधान ने बनाया चायवाले को प्रधानमंत्री

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने खून की एक बूंद बहाए बिना दुनिया की सबसे बड़ी क्रांति की। संविधान को समता, स्वतंत्रता, बंधुता व न्याय का आधार दिया। सबको एक वोट का अधिकार दिया। पहले रानी के पटे से राजा जन्म लेते थे, लेकिन बाबासाहब द्वारा वोट के अधिकार के कारण अब मतपेटियाें से राजा चुने जाने लगे। अगर वोट का अधिकार नहीं होता, तो चायवाला कभी देश का प्रधानमंत्री नहीं बनता। यह बात डॉ. त्रिलोक हजारे, सेवानिवृत्त प्रधान शास्त्रज्ञ, नेशनल ब्यूरो अॉफ सॉइस सर्वे नागपुर ने किया। रविवार को नागपुर विद्यापीठ के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अध्यासन व विचारधारा विभाग द्वारा राष्ट्र निर्माण में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का योगदान विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग प्रमुख डॉ. अविनाश फुलझेले ने की। डॉ. त्रिलोक हजारे ने बताया कि अंग्रेज आने से पहले राष्ट्र जैसी कोई संकल्पना नहीं थी। अंग्रेज आने के बाद अनेक छोटे आंदोलनों की शुरूआत हुई। ऐसे में दो वर्ग सामने आए। एक उभरता वर्ग जिसमें भगत सिंह, महात्मा फुले, सावित्रीबाई, डॉ. आंबेडकर, पेरियार, मौलाना आजाद, महात्मा गांधी आदि शामिल थे और एक डूबता वर्ग था, जिसमें मो. अली जिन्ना, वीर सावरकर, गोलवलकर गुरुजी थे। डूबता वर्ग धर्म आधारित राष्ट्र की मांग कर रहा था, जबकि उभरता वर्ग समता, स्वतंत्रता, न्याय चाह रहा था। ऐसे में तीन प्रकार के राष्ट्रवाद सामने आए, पहला भारतीय राष्ट्रवाद, दूसरा मुस्लिम राष्ट्रवाद और तीसरा हिंदू राष्ट्रवाद। बाबासाहब इसे लेकर काफी चिंितत थे, लेकिन बाबासाहब ने समता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुता का आधार लेकर संविधान की रचना कर दुनिया को एक मजबूत लोकतंत्र दिया। अब हमें तय करना है कि हमें डूबते वर्ग की ओर जाना है या उभरते वर्ग की तरफ जाना है। अध्यक्षीय भाषण डॉ. अविनाश फुलझेले ने किया।

Created On :   15 April 2024 12:21 PM GMT

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