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भास्कर पड़ताल: डिप्टी आरटीओ सरक और फासे ने किया था रजिस्ट्रेशन, इंस्पेक्टर लेवल का काम आगे बढ़कर किया
- रुचि लेकर खुद किया था काम
- एसआईटी जांच के बाद आयुक्त की टीम पहुंची
- कागजों के आधार पर किया था रजिस्ट्रेशन, कोई फर्जीवाड़ा नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. आरटीओ में चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन मामले की मुंबई की एसआईटी और परिवहन आयुक्त की टीम जांच करने में जुटी हुई है। हालांकि इस जांच में लीपापोती देख भास्कर ने सच्चाई जांचने अपने स्तर पर पड़ताल की। इसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जिस चोरी के वाहन से पूरा मामला खुला, और जिसका नंबर एफआईआर में है, उसका रजिस्ट्रेशन निचले कर्मचारियों की जगह दो वरिष्ठ अधिकारियों ने किया था। जिनका नाम रिकॉर्ड में सामने आया है। वे ग्रामीण कार्यालय के डिप्टी आरटीओ आर सरक व सेवानिवृत्त हुए एआरटीओ शांताराम पी. फासे हैं।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
बता दें कि मुंबई पुलिस को नागपुर में रजिस्टर्ड एक चोरी के वाहन का पता चला था, उसके बाद पूरे रैकेट का खुलासा हुआ था। इस वाहन क्रमांक एमएच 40 सीएम 3098 का जिक्र एफआईआर में भी किया गया है। संबंधित गाड़ी का रजिस्ट्रेशन 27 जनवरी 2023 को आरटीओ के ग्रामीण कार्यालय के डिप्टी आरटीओ आर सरक व एआरटीओ शांताराम पी. फासे ने किया था।
रुचि लेकर खुद किया था काम
वाहन के रजिस्ट्रेशन का काम विभाग के निरीक्षक स्तर के कर्मियों का रहता है। संबंधित वाहन के रजिस्ट्रेशन में दोनों अधिकारियों ने यह काम खुद किया था। जिसका रिकॉर्ड है। संबंधित अधिकारियों से जब भास्कर ने इस मामले में सवाल किए और सबूत दिखाए तो उन्होंने रजिस्ट्रेशन की बात स्वीकारी, मगर कुछ गलत नहीं होने की बात कहते रहे।
एसआईटी जांच के बाद आयुक्त की टीम पहुंची
चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन मामले में एसआईटी टीम की जांच के बाद परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार की ओर से एक जांच समिति को भेजा गई, जिसमें नाशिक के आरटीओ प्रदीप शिंदे व उनके साथ कार्यालयीन स्टाफ है। उन्होंने जांच शुरू कर दी है।
एजेंट ने 65 चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन कबूला
सूत्रों के अनुसार मुंबई एसआईटी ने नागपुर से शील जामोलकर एजेंट को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने अकेले ही 65 चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन नागपुर आरटीओ से मिलीभगत कर करवाना कबूला है। उसने इस काम में एक अन्य बाहूबली एजेंट यादव नाम भी लिया है।
इंस्पेक्टर ठीक से काम नहीं कर रहा था, इसलिए मैंने कर दिया
आर. सरक, डिप्टी आरटीओ, नागपुर ग्रामीण के मुताबिक उस वक्त इंस्पेक्टर लोग अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर रहे थें। वाहनों की निरीक्षण प्रक्रिया बहुत मंद हुई थी। ऐसे में मुझे उस वाहन का निरीक्षण करना पड़ा था, जो कि पूरी तरह शासकीय पद्धति से हुआ है। इसमें कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है।
कागजों के आधार पर किया था रजिस्ट्रेशन, कोई फर्जीवाड़ा नहीं
शांताराम पी. फासे, पूर्व एआरटीओ, नागपुर ग्रामीण के मुताबिक वाहनों को पास करने का काम ही मेरा था, लेकिन वाहनों की जांच करने की जिम्मेदारी निरीक्षक स्तर की थी। मेरे पास आए दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन किया। मेरी तरफ से कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है।
Created On :   2 May 2024 8:10 PM IST