नागपुर: कई कलाओं में निपुण हो सकते हैं ऑटिज्म से ग्रसित बच्चे, इन बातों का ख्याल रखें - डॉ. बोधनकर

कई कलाओं में निपुण हो सकते हैं ऑटिज्म से ग्रसित बच्चे, इन बातों का ख्याल रखें - डॉ. बोधनकर
  • एओपी, COMHAD UK और संवेदना स्कूल फॉर ऑटिज्म के सहयोग से ऑटिज्म दिवस का आयोजन
  • ऑटिज्म में जल्दी उपाय शुरू करने से बच्चों के व्यवहार-बोलने की क्षमता में हो सकता है सुधार
  • ऑटिस्टिक आवाज़ों को सशक्त बनाने की थीम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एओपी और संवेदना स्कूल फॉर ऑटिज्म के सहयोग से COMHAD UK ने ऑटिज्म दिवस का आयोजन किया। इस दौरान बच्चों के लिए ड्राइंग कॉम्पिटिशन आयोजित किया गया था। जिसके साथ ही बच्चों को पुरस्कार वितरित किए गए। बच्चों ने हैल्दी स्नैक्स का भी लुत्फ उठाया। कार्यक्रम में खासतौर से COMHAD UK के कार्यकारी निदेशक डॉ. उदय बोधनकर मौजूद रहे उनके साथ ही एओपी नागपुर के अध्यक्षडॉ. खुश झुनझुनवाला बतौर अतिथि शामिल हुए। डॉ. उदय बोधनकर ने बताया कि ऑटिज्म एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो बचपन में शुरू होती है।


जिसमें व्यक्ति के वर्बल या नॉन वर्बल कम्युनिकेशन, इमेजिनेशन और सोशल इंटरेक्शन पर बुरा असर पड़ता है। जिसकी वजह से पीड़ितृको बातें समझने में कठिनाई होती है, मन ही मन बड़बड़ाते हैं, शब्दों को समझ नहीं पाते हैं, आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाते हैं, उठने-बैठने, खाने-पीने का बर्ताव भी औरों से अलग होता है।

इस कार्यक्रम की थीम ऑटिस्टिक आवाज़ों को सशक्त बनाने की थी। इस कार्यक्रम में 50 से अधिक अभिभावकों और बच्चों ने भाग लिया था। डॉ प्राजक्ता कदुस्कर महासचिव COMHAD UK, डॉ. यश बनैत सचिव एओपी, डॉ. जया शिवलकर ईबीएम ऑफ COMHAD UK और प्रोफेसर फड़के पूर्व प्रमुख फार्मा विभाग जीएमसी ने अपने अनुभाव साझा किए।


श्रीमती फड़के निदेशक और ऑटिज्म स्कूल संवेदना की प्रभारी कंचन गोखले भी कार्यक्रम में खास तौर से उपस्थित थीं।

डॉ. उदय बोधनकर के मुताबिक ऑटिज्म में जल्दी उपाय शुरू करने से बच्चे के व्यवहार, सीखने-बोलने की क्षमता में सुधार किए जा सकते हैं। इसमें स्पेशल एजुकेटर काफी मददगार हो सकते हैं। ऑटिज्म का इलाज बच्चों के डॉक्टर, डेवलपमेंटल न्यूरोलॉजिस्ट, ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट इत्यादि के टीम वर्क से किया जाता है।


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क्या है ऑटिज्म?

-बच्चों का देरी से बोलना शुरू करना।

-एक ही शब्द को बार-बार रिपीट करना।

-किसी के बोलने या कुछ कहने पर जवाब नहीं देना।

-किसी भी एक काम या सामान के साथ पूरी तरह बिजी रहना।

-सामने वाले व्यक्ति की भावना न समझ पाना।


(तस्वीर में शानदार प्रेजेंटेशन दे रही बच्ची)

जानकारों के मुताबिक कुछ ब्रेन टॉनिक, आयरन सप्लीमेंट्स, ओमेगा 3 फैटी एसिड सप्लीमेंट्स, बायोटिन विटामिन सुधार ला सकते हैं। ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे के भावनात्मक और मानसिक विकास में सहायक होने की जरूरत है।

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस हर साल 2 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाता है, जो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों को दुनिया भर में ऑटिस्टिक व्यक्तियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उपाय करने के लिए प्रोत्साहित करता है। ऑटिज़्म के दौरान व्यक्ति को कई समस्याएं हो सकती हैं, कई बार ऑटिज़्म से ग्रसित व्यक्ति को बोलने और सुनने में समस्याएं आती हैं। ऑटिज़्म जब गंभीर रूप से होता है तो इसे ऑटिस्टिक डिस्‍ऑर्डर के नाम से जाना जाता है, लेकिन जब ऑटिज़्म के लक्षण कम प्रभावी होते हैं तो इसे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिस्‍ऑर्डर (ASD) के नाम से जाना जाता है। एएसडी के भीतर एस्पर्जर सिंड्रोम शामिल है।




Created On :   13 April 2024 5:41 PM IST

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