Nagpur News: सीजीएसटी की अग्नि-परीक्षा, 26 दिन शेष और निपटाने हैं 50 हजार से अधिक मामले

सीजीएसटी की अग्नि-परीक्षा, 26 दिन शेष और निपटाने हैं 50 हजार से अधिक मामले
  • अधिकारी कम, काम ज्यादा, यह मुश्किल
  • 26 दिन शेष और निपटाने हैं 50 हजार से अधिक मामले

Nagpur News. केंद्रीय वस्तु व सेवा कर (सीजीएसटी) को टैक्स चोरी के मामले में शो कॉज नोटिस जारी करने से लेकर सुनवाई लेना और आदेश जारी करने की प्रक्रिया 5 साल में पूरी करनी होती है। पांच साल से ज्यादा का समय होने पर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई हो सकती हैै। सीजीएसटी नागपुर जोन का कार्यक्षेत्र विदर्भ से लेकर मराठवाड़ा व नाशिक विभाग तक फैला है। जीएसटी चोरी संबंधी छोटे-बड़े 50 हजार से अधिक मामले सुनवाई के लिए अंतिम दौर में हैं और फरवरी अंत तक इन मामलों पर आदेश जारी करना है।

पूरी प्रक्रिया इस प्रकार है : कारोबारी जो वार्षिक रिटर्न फाइल करता है, उस तारीख से पांच साल के भीतर संबंधित मामले में शो कॉज नोटिस जारी करना, संबंधित का जवाब देखना, मामले की सुनवाई करना और उसके बाद आदेश जारी करना होता है। प्रशासनिक भाषा में इसे एडज्यूडिकेशन कहा जाता है। सीजीएसटी नागपुर जोन के तहत टैक्स चोरी संबंधी ऐसे हजारों मामले हैं। फरवरी के अंत तक इन्हें हर हाल में निपटाना है। फैसले को कमिश्नर अपील के पास चुनौती दी जा सकती है। आदेश में अगर एक करोड़ का टैक्स कंफर्म किया तो संबंधित कारोबारी को अपील में जाने के लिए 25 लाख प्री-डिपाजिट करना होगा। यानी 25 फीसदी राशि जमा करनी होती है।

जल्दबाजी में गल ती होने का खतरा : जल्दबाजी अक्सर घातक मानी जाती है। जीएसटी अधिकारियों के पास समय बहुत कम बचा है। फरवरी में ही मामलों का निपटारा नहीं किया तो कार्रवाई का खतरा है। जल्दबाजी में गलती होने की भी गुंजाइश होती है। फैसले में गलती या लापरवाही के लिए अधिकारी पर कोई जिम्मेदारी तय नहीं है, लेकिन अपील में जाने के लिए कारोबारी को 25 फीसदी निधि का इंतजाम करना पड़ता है। सीजीएसटी में अधिकारी कम हैं आैर मामले ज्यादा। ऐसे में खामी रहने की संभावना बनी हुई है। अपील में कारोबारी की जीत भी हुई तो भी कारोबारी अधिकारी का कुछ कर नहीं सकता।

देर से जागा प्रशासन

किसी मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए 5 साल बहुत होते हैं। टैक्स चोरी संबंधी मामलों में शो कॉज जारी करने से लेकर कार्यालयीन व प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी करने में देरी की जाती है। एक तरह से कह सकते हैं कि प्रशासन देर से जागा। इस कारण मामले का निपटारा करने में अभी समय बहुत कम बचा है। समय पर सारी प्रक्रिया होती तो इतनी ज्यादा संख्या में सीजीएसटी के पास मामले प्रलंबित नहीं होते।


Created On :   3 Feb 2025 6:53 PM IST

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