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Nagpur News: गोरेवाड़ा में बनेगा कंजर्वेशन सेंटर, तीन संस्थाओं के बीच हुआ एमओयु

- जंगली भैंसों के साथ यूरेशियन ओटर व तनमोर की संख्या बढ़ेगी
- नागपुर का गोरेवाड़ा प्रकल्प इन दिनों तेजी से विकसित हो रहा
Nagpur News तेजी से कम हो रहे वन्यजीवों की प्रजाति को लुप्त होने के पहले बढ़ाने को लेकर प्रयास जारी है। जिसमें गोरेवाड़ा में वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सेंटर का निर्माण करने की तैयारी की जा रही है। मंगलवार को इस संबंध में बॉम्बे नैचरल हिस्ट्री सोसायटी, एफडीसीएम गोरेवाड़ा जू लिमिटेड व वाइल्ड लाइफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर के बीच में एमओयु साइन हुआ है। नई बात यह है कि इस कनजर्वेशन सेंटर में न केवल वाइल्ड बफेलो बल्कि यूरेशियन ओटर व व तनमोर की प्रजाति की भी ब्रि़डिंग कराकर संख्या बढ़ाई जानेवाली है।
राज्य की बात करें तो यहां बड़ी संख्या में अभयारण्य व बाघ प्रकल्प है। जिसमें मेलघाट, ताडोबा अंधारी, सह्याद्री, पेंच, नवेगांव नागझिरा, बोर बाघ प्रकल्प शामिल है। इन प्रकल्पों का कुल दायरा 90 हजार स्वेअर किमी से ज्यादा है। इन सभी प्रकल्पों में बाघ, तेंदुओं से लेकर भालू, मगरमच्छ व शाकाहारी वन्यजीवों की अलग-अलग प्रजाति मौजूद है। लेकिन आज भी इन में कई वन्यजीव ऐसे हैं, जिन्हें बहुत कम देखा जाता है। यह प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। खासकर लेसर फ्लोरिकल, यूरेशियन ओटर, जंगली भैसा आदि शामिल हैं। ऐसे में इनकी प्रजाति को पूरी तरह से लुप्त होने से पहले बचाने की जद्दोजहद वन विभाग कर रहा है। उपरोक्त तीनों संस्थाओं की मदद से लुफ्त होनेवाली प्रजाति की संख्या बढ़ाई जानेवाली है।
महाराष्ट्र में 17 वाइल्ड बफेलो : जंगली भैसों की संख्या बहुत कम हो गई है। कई जगह पर नाममात्र है। ऐसे में वन विभाग की ओर से इन्हें बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है। नागपुर का गोरेवाड़ा प्रकल्प इन दिनों तेजी से विकसित हो रहा है। यहां बड़े पैमाने पर जगह रहने से जू से लेकर सफारी आदि का निर्माण किया जा रहा है। इसी में अब यहां वाइल्ड बफेलो कंजरर्वेशन सेंटर को भी शुरू करने का विचार किया जा रहा है। जानकारों के अनुसार महाराष्ट्र के जंगलों में केवल 17 वाइल्ड बफेलो बची है। जो कि आनेवाले कुछ समय बाद पूरी तरह से खत्म हो सकती है। ऐसे में इन जंगलों में वाइल्ड बफेलो की संख्या बढ़ाने के लिए उपरोक्त कवायदें की जा रही है।
कैसे होगा काम : छत्तीसगढ़ से यहां बफेलो लाकर ब्रिडिंग की जानेवाली है। जिसके बाद यहां इनकी संख्या को बढ़ाकर उन्हें जंगली माहौल का प्रशिक्षण आदि दिया जाएगा। इसके बाद विभिन्न विदर्भ व राज्य के जंगलों में इन्हें छोड़ा जाएगा। ताकि धीरे- धीरे इनकी प्रजाति बढ़ने लगे, वहीं जंगलों में इन्हें देखना आसान हो जाए।
Created On :   15 April 2025 4:32 PM IST