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बीमारी: मस्तिष्क पर होने लगा चिकनगुनिया का असर, संदिग्धों में 36% से अधिक पॉजिटिव
- 143 संदिग्धों में से 52 में संक्रमण की पुष्टि
- 45 मामले 1 जून से 18 जुलाई के बीच सामने आए
- नागरिकों में जागरुकता का अभाव
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में चिकनगुनिया का प्रमाण बढ़ रहा है। 143 संदिग्धों में से 52 में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। यानी संदिग्धों में से 36 फीसदी से अधिक में चिकनगुनिया पाया गया है। जिन मामलों की पुष्टि हुई है, उनमें से 45 मामले 1 जून से 18 जुलाई के बीच सामने आए हैं। सर्वाधिक 36 मरीज मंगलवारी जोन और 16 मामले धरमपेठ जोन के हैं।
सरकारी आंकड़ा कम है : एडीज एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है। अब तो चिकनगुनिया का असर मस्तिष्क पर होने लगा है। निजी दवाखानों में ऐसे गंभीर मरीज आने लगे हैं। जो संख्या सरकारी रिकार्ड में दर्ज है, वह काफी कम है।
गिट्टीखदान से शुरू हुआ बीमारी का असर : चिकनगुनिया के बारे में नागरिकों में जागरुकता का अभाव है। इसलिए इसके बारे में जानकारी होना जरूरी है। नागपुर में 2009 में पहली बार इस बीमारी का पता चला था। उस समय गिट्टीखदान व बोरगांव क्षेत्र में मरीज पाए गए थे। इस बीमारी का फैलाव वहां से हुआ, ऐसा माना जाता है। इस बीमारी के वायरस एडीज एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से व्यक्ति में फैलते हैं। यह मच्छर पहले से किसी संक्रमित व्यक्ति को काट चुके होते हैं। जब वह किसी दूसरे व्यक्ति को काटते हैं, तो उसे भी चिकनगुनिया हो जाता है। इस तरह बीमारी का फैलाव होता है। संक्रमित व्यक्ति सीधे दूसरे व्यक्ति को संक्रमण नहीं फैला सकता। एडीज एजिप्टी मच्छर दिन के समय काटते हैं। मच्छर काटने के 4 से 7 दिन के बीच इस बीमारी का असर शुरू होता है।
सबसे पहले मच्छरों का प्रकोप रोकना जरूरी : विशेषज्ञ के अनुसार, चिकनगुनिया से बचना हो तो सबसे पहले मच्छरों का प्रकोप रोकना जरूरी है। घर, आसपास का परिसर स्वच्छ रखना चाहिए। जल-जमाव नहीं होने देना चाहिए। पूरे कपड़े पहनें। मच्छररोधक जालियां, मच्छरदानियां लगाकर सोने से मच्छरों से बचा जा सकता है। मच्छर रोधक सामग्री का उपयोग करना चाहिए।
ऐसे लक्षण दिखे तो हो सकता है चिकनगुनिया : चिकनगुनिया के लक्षणों में हाथों, कलाइयों, टखनों और पैरों में तेज दर्द के साथ अचानक तेज बुखार आना शामिल है। कई बार दर्द हफ़्तों से लेकर महीनों तक बना रह सकता है। अन्य लक्षणों में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन, चकत्ते, थकान और कभी-कभी मतली और उल्टी होना शामिल है। कुछ मामलों में मस्तिष्क की सूजन के कारण सिरदर्द, उल्टी, भ्रम, दौरे, आदि की समस्या हो सकती है। हृदय की मांसपेशियों और उसके आवरण में सूजन आ सकती है। सांस फूलना, त्वचा पर गंभीर चकत्ते, छाले, त्वचा पर घाव, अल्सर, प्लेटलेट्स और डब्ल्यूबीसी की संख्या में कमी हो सकती है। क्रॉनिक गठिया का खतरा होता है। थकान के कारण दैनिक कार्य व जीवनचर्या प्रभावित हो सकती है। इससे अवसाद और चिंता बढ़ती है। यह सभी संभावित खतरे हैं। नागपुर में अब तक ऐसे गंभीर मरीज नहीं मिले हैं। एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने चिकनगुनिया से मस्तिष्क प्रभावित होने के गंभीर स्वरूप के मरीज आने की जानकारी दी है।
चिकनगुनिया का प्रभावी उपचार नहीं : चिकनगुनिया होने पर मरीज को स्वस्थ करने कोई प्रभावी उपचार नहीं है। कोई एंटिबायोटिक नहीं है। न ही कोई टीका उपलब्ध है। केवल पेन किलर दिया जाता है। जितनी सावधानी बरतेंगे, उतना सुरक्षित रहेंगे। इस बीमारी में जाेड़ों का दर्द असह्य होता है। मरीज चल-फिर नहीं सकता। चिकनगुनिया अधिक प्रभावी होने पर मरीज को रेंगना भी पड़ सकता है। अब हमारे यहां मस्तिष्क प्रभावित हो चुके मरीज आए हैं। इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करना जरूरी है। स्वच्छता रखना व जल-जमाव न हो, इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है। - डॉ. नितीन वडस्कर, संक्रामक रोग विशेषज्ञ
Created On :   26 July 2024 3:51 PM IST