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नागपुर: बेमौसम बारिश की मार से अब बढ़ सकते हैं ईंट के दाम, उत्पादन पर पड़ा असर
- केवल एक माह का सीजन शेषकेवल एक माह का सीजन शेष
- जगह-जगह कंस्ट्रक्शन काम
- जून माह से बारिश शुरू हाे जाती
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में जारी बेमौसम बारिश के चलते ईंट भट्ठा संचालकों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। बारिश के कारण ईटों का उत्पादन भी काफी प्रभावित हुआ है, जिससे दाम में 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना व्यक्त की जा रही है। अभी 4 इंच लाल ईंट 8000 रुपए और 6 इंच की ईंट 17500 रुपए प्रति 1000 की दर से बिक रही है। यदि बारिश से जल्द राहत नहीं मिलती है, तो ईंट के दाम 10,000 से 20,000 रुपए तक पहुंचने की संभावना ईंट भट्ठा संचालकों द्वारा व्यक्त की जा रही है।
"दुबले पर दो आषाढ़'
महाराष्ट्र ब्रिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल मेहाड़िया और सचिव संजय पालीवाल के अनुसार होली के बाद से हर सप्ताह में 2-3 दिन बारिश जारी है। जिले में सावनेर, कामठी, मौदा, रामटेक, पारसिवनी तहसीलों में ईंट भट्ठे हैं। ईंट बनाने के लिए मजदूर बाहर से लाने पड़ते हैं। इस साल ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले लेबर भी कम है, जिससे पहले ही उत्पादन प्रभावित हुआ है। उस पर बारिश ने "दुबले पर दो आषाढ़' जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी है।
केवल एक माह का सीजन शेषकेवल एक माह का सीजन शेष
शहर का तेजी से विकास हाे रहा है। जगह-जगह कंस्ट्रक्शन काम शुरू है। बेमौसम बारिश के कारण कंस्ट्रक्शन के काम भी रुके हुए हैं। जून माह से बारिश शुरू हाे जाती है। साथ ही मजदूर भी कृषि कार्य के लिए अपने गांव लौट जाते हैं। ऐसे में अब ईंट भट्ठा संचालकों के लिए केवल एक माह का सीजन शेष रह गया है। बारिश शुरू होने पर भट्ठी पूरी तरह से बंद हो जाती है। गोपाल मेहाडिया ने बताया कि भट्ठी बंद होने के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में इन मजदूरों के सामने भूखमरी की नौबत आ सकती है।
शहर का तेजी से विकास हाे रहा है। जगह-जगह कंस्ट्रक्शन काम शुरू है। बेमौसम बारिश के कारण कंस्ट्रक्शन के काम भी रुके हुए हैं। जून माह से बारिश शुरू हाे जाती है। साथ ही मजदूर भी कृषि कार्य के लिए अपने गांव लौट जाते हैं। ऐसे में अब ईंट भट्ठा संचालकों के लिए केवल एक माह का सीजन शेष रह गया है। बारिश शुरू होने पर भट्ठी पूरी तरह से बंद हो जाती है। गोपाल मेहाडिया ने बताया कि भट्ठी बंद होने के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में इन मजदूरों के सामने भूखमरी की नौबत आ सकती है।
Created On :   28 April 2024 11:45 AM GMT