राजनीति: कमजोरी दूर कर पाएगी कांग्रेस, लिया था संकल्प , बन गई सबसे बड़ी पार्टी

कमजोरी दूर कर पाएगी कांग्रेस, लिया था संकल्प , बन गई सबसे बड़ी पार्टी
  • कांग्रेस की बड़ी कमजोरी है गुटबाजी
  • विधानसभा के लिए जल्द ही तैयारी
  • विदर्भ की 10 में से 5 पर कब्जा किया

रघुनाथसिंह लोधी , नागपुर । लोकसभा चुनाव में भाजपा भले ही आगे रही लेकिन कांग्रेस गदगद है। विशेषकर महाराष्ट्र में लोकसभा सदस्यों के मामले में वह सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। उसमें भी विदर्भ में उसकी खुशी दोगुनी हो गई है। खोया साथ, वापस मिला। उम्मीदाें व संभावनाओं के मानो पंख फूट पड़े हैं। लेकिन अहम सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस अपनी कमजोरी दूर करने में सक्षम हो जाएगी। नागपुर में लिए गए संकल्प पर किस सीमा तक कायम रहेगी। सब जानते हैं-कांग्रेस की बड़ी कमजोरी गुटबाजी है। इस बार कांग्रेस ने नागपुर व विदर्भ की माटी को कई बार कृतज्ञ भाव से चूमा। साल के आरंभ में -हैं तैयार हम...का नारा लगाने के लिए दिघोरी मार्ग पर बड़ी सभा कराई गई। अध्यक्ष मलिकार्जुन खडगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के सभी बड़े नेता पहुंचे। कांग्रेस के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री व अन्य प्रमुख नेताओं को बोलने का मौका दिया गया।

...अब विधानसभा की तैयारी : अब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विदर्भ से ही हैं। उत्साह कायम रखकर कांग्रेस विदर्भ में अपनी कमजोरी का इलाज स्वयं कर सकती है। विदर्भ में लोकसभा की 10 में से 5 सीट कांग्रेस जीत चुकी है। दो पर उसके मित्रदल जीते हैं। विधानसभा के लिए उसे जल्द ही तैयारी करना है।

विदर्भ में कांग्रेस के लिए उम्मीदें कम नहीं हुईं : 1977 में आपातकाल में नागपुर व विदर्भ इंदिरा गांधी के साथ रहा। राज्य में लोकसभा की 48 में से 28 सीटें जनता पार्टी ने जीती थीं। 20 कांग्रेस ने जीतीं। लेकिन देश में कांग्रेस पराजित हो गई थी। विदर्भ को कांग्रेस की राजनीतिक जमीन के मामले में उर्वरा माना जाता रहा। यही कारण था कि प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हाराव ने दो बार रामटेक व जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने यवतमाल से चुनाव जीता था। 2014 के बाद अन्य क्षेत्रों के समान विदर्भ में भी भाजपा का प्रभुत्व बढ़ गया। लेकिन कांग्रेस के लिए उम्मीदें कम नहीं हुईं।

2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एकमात्र सीट विदर्भ से जीती। विधानसभा चुनाव में अन्य क्षेत्रों में भाजपा ने बढ़त बनाई लेकिन विदर्भ में वह कई स्थानों पर पराजित हुई। राजनीतिक जानकार अक्सर कहते हैं-विदर्भ में कांग्रेस की कमजोरी का सबसे अधिक लाभ नितीन गडकरी ने उठाया। स्थिति यह भी बनने लगी कि विदर्भ को भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा। विदर्भ राज्य की मांग को लेकर कांग्रेसी अधिक खुलकर नहीं बोले। पर गुटबाजी ने विदर्भ कांग्रेस की मांग करा दी। चुनाव के समय अपने ही नेताओं पर आरोप व कथित लांछन तक लगाए जाने लगे। मारपीट की स्थितियां बनने लगी। भीतरघात में कमी नहीं रही।


Created On :   6 Jun 2024 1:45 PM IST

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