विवादित फैसले पर मंथन: सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड के संशोधित अधिनियम पर फिल्हाल लगी रोक, देशभर में जगह-जगह हुआ विरोध

सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड के संशोधित अधिनियम पर फिल्हाल लगी रोक, देशभर में जगह-जगह हुआ विरोध
  • सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड के संशोधित अधिनियम 2024 पर फिल्हाल रोक
  • संवेदनशील विषय पर बड़ा फैसला
  • देश पर में शिंदे सरकार का हो रहा था विरोध
  • सिख संस्थाओं में संशोधित अधिनियम 2024 को लेकर भारी आक्रोश

डिजिटल डेस्क, नांदेड़। देशभर में महाराष्ट्र की शिंदे सरकार का हो रहा विरोध अब थमता नजर आ रहा है। राज्य सरकार ने मंथन करते हुए अति संवेदनशील विषय सचखंड श्री हुजूर साहिब गुरुद्वारा के विवादित संशोधन अधिनियम बिल 2024 को फिल्हाल रोकने का फैसला लिया है। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते कहा है कि गुरुद्वारा संशोधन अधिनियम बिल को विधानसभा में पेश करने से पहले व्यापक विचार-विमर्श के लिए रोका गया है। जिसके बाद अब नांदेड़ सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री हजूर साहिब अबचलनगर बोर्ड एक्ट 1956 ही लागू रहेगा।


महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में कहा था कि केवल सिख ही नांदेड़ गुरुद्वारा समिति का हिस्सा होंगे, लेकिन सिखों का कहना है कि उन्हें गुरुद्वारों में सरकारी कब्जा और दखल बर्दाश्त नहीं है, जिसे लेकर सिखों ने व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनाई थी, इसी कड़ी में तख्त साहिब से एक विशाल मोर्चा विरोध के रूप में प्रशासनिक दफ्तर कर पहुंचा था, जहां से ज्ञापन के माध्यम में सरकार को साफ कहा गया था कि सिखों के गुरुद्वारे में सरकारी कब्जा होने नहीं दिया जाएगा। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अलावा देशभर की निहंग सिंघ जत्थेबंदियो ने विवादित बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

नांदेड़ सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री हजूर अबचल नगर साहिब कानून, 1956 में नए संशोधन के अनुसार, 17 सदस्यों में 12 को सीधे महाराष्ट्र सरकार की ओर से नियुक्त किया जाना था, जिसमें तीन निर्वाचित होने थे, एसजीपीसी केवल दो को ही नियुक्त कर सकती थी। सांसद या अन्य संगठनों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा। सरकार के इस फैसले के खिलाफ स्थानीय सिखों ने 9 फरवरी को जिलाधिकारी कार्यालय पर मोर्चा निकाला था। साथ ही पुराना एक्ट बरकरार रखने की मांग की थी। इसके साथ ही संशोधित धारा 11 (जिसमें सरकार को बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त करने का अधिकार) उसे साफ शब्दों ने रद्द करने की मांग की गई थी।


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नौवें दिन भी कीर्तन कर संगत ने विरोध जताया

श्रृंखलाबद्ध भूख हड़ताल को नौ दिन हो गए। शुक्रवार को कीर्तन कर प्रदर्शनकारियों और क्षेत्र के नागरिकों ने सरकार का विरोध किया। आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी क्षेत्र में नागरिकों और राहगीरों को ठंडा दूध बांटकर अनोखे अंदाज में विरोध किया था। इस दौरान निर्णय हुआ कि, जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी, इसी तरह मोर्चे पर डटा जाएगा। इस दौरान सरबजीत सिंघ होटलवाले, गुरमीत सिंघ महाजन, मनप्रीत सिंघ कुंजीवाले, अवतार सिंघ पहरेदार, गुरमीत सिंघ बेदी, भागींदर सिंघ घडीसाज, रविंदर सिंघ बुंगई, राजिन्दर सिंघ पुजारी, हरभजन सिंघ पुजारी, मनबीर सिंघ ग्रंथी, जगजीत सिंघ, प्रेमजीत सिंघ शिलेदार, ज्ञानी तेगा सिंघ बावरी, जगदीप सिंघ नंबरदार, अमरजीत सिंघ गिल, हरजीत सिंघ गिल, सुरिंदर सिंघ मेंबर, कश्मीर सिंघ कारागीर, सुखविंदर सिंघ हुंदल, इंदर सिंघ शाहू , बिल्लू रंगी, अमरजीत सिंघ बुंगई, बलजीत सिंघ शाह, शरणपाल सिंघ कारागीर, सेवक सिंघ रायके, सिंटू सिंघ बॉडीवाले, कालू सिंघ रागी, जसविंदर सिंघ गल्लीवाले, राजू सिंघ गिल, करण सिंघ लोणीवाले, मनिंदर सिंघ शाहू, रॉकी सिंघ रामगड़िया, भोला सिंघ गाड़ीवाले, सुरजीत सिंघ फौजी, जसबीर सिंघ बुंगई, मनिंदर सिंघ रामगड़िया, जप्पी सिंघ लांगरी , हरभजन सिंघ दिगवा, गुरप्रीत सिंघ सोखी, किरपाल सिंघ हजुरिया, जसबीर सिंघ धुपिया, तेजपाल सिंघ खेड, राजेंद्र सिंघ शाहू, प्रताप सिंघ खालसा तथा सैंकड़ों सिखों ने हिस्सा लिया।



Created On :   16 Feb 2024 8:00 PM IST

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