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नागपुर: काव्य की प्रस्तुति के जरिए अंगदान के लिए जागरूकता, वरिष्ठ महिलाओं की पहल
- 150 लोग कर चुके हैं आवेदन
- विशेष बच्चों में जिज्ञासा
- दान पावल हो की वरिष्ठ महिलाओं की पहल
डिजिटल डेस्क, नागपुर. ‘भारुड़' या काव्य की प्रस्तुति के जरिये लोगों को जागरूक करना एक पौराणिक कला है। इस कला के माध्यम से वरिष्ठ महिलाओं ने ‘दान पावल हो’ फाउंडेशन के माध्यम से देहदान और अंगदान के बारे में जन जागरूकता पैदा करने का बीड़ा उठाया है। यह पहल दीपस्वी यूनिटी फाउंडेशन के सहयोग से की गई है। वरिष्ठ महिलाएं शहर के विभिन्न क्षेत्रों में काव्य की प्रस्तुति के जरिये निःशुल्क जागरूकता फैला रही हैं। इस गतिविधि की संकल्पना एवं लेखन अनघा वेखंडे की है। शोभा बावनकर, वैशाली चारपे, वनिता मुंगेलवार, नीलिमा देशपांडे, वैशाली जोशी, अबोली कुलकर्णी, रेखा भारद्वाज जैसी महिला कलाकार इसमें हिस्सा ले रही हैं। तकनीकी पक्ष शांतनु जैन संभालते हैं और अरुण वेखंडे द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
150 लोग कर चुके हैं आवेदन
उमरेड रोड स्थित पंचवटी वृद्धाश्रम में 43 नागरिकों ने देहदान और अंगदान का महत्व जाना। वरिष्ठ महिलाओं द्वारा नागरिकों के प्रश्नों का समाधान करने के बाद 43 लोगों ने देहदान एवं अंगदान के लिए आवेदन किया। कार्यक्रम में मेजर हेमंत जकाते, सुलभा जकाते, वृद्धाश्रम की संचालिका बीमा टिकेकर एवं वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे। इसी तरह स्पेशल केयर सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में संचालिका आम्रपाली, बेलतरोड़ी रोड स्थित साईं सावली वृद्धाश्रम के निदेशक डॉ. विनोद केल्ज़ारकर, संचालक विशाखा मोहोड एवं वृद्धाश्रम के वरिष्ठ नागरिक, क्षेत्रवासी उपस्थित थे। अब तक हुए कार्यक्रमों में 150 नागरिकों ने देहदान एवं अंगदान के लिए आवेदन किया है।
विशेष बच्चों में जिज्ञासा
महिलाओं ने हाल ही में महल क्षेत्र में तुलसीबाग रोड पर कल्याण बधिर विद्यालय में यह जागरूकता कार्यक्रम किया। मूक बधिर छात्रों ने पहली बार अभिजीत की सांकेतिक भाषा के माध्यम से देहदान और अंगदान की अवधारणा को समझा। अंगों और शरीर के महत्व को जानकर इन विशेष विद्यार्थियों ने काव्य कला (भरुड़ कला) का भी आनंद लिया।
हिंदी साहित्य विश्व : मराठी भाष्य' पुस्तक का विमोचन
उधर डॉ. सुनीता रामचन्द्र नाइकवाड़े द्वारा लिखित पुस्तक "हिंदी साहित्य विश्व : मराठी भाष्य' का विमोचन समारोह रविवार को आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. सुधा जांगिड़, लेखिका डॉ. सुनीता नाइकवाड़े, कार्यक्रम समन्वयक राजेंद्र नाइकवाड़े उपस्थित थे। पुस्तक के बारे में डॉ. सुधा जांगिड़ ने बताया कि इस पुस्तक में हिंदी साहित्य के इतिहास की पृष्ठभूमि में लेखन का अर्थ और महत्व समझाया गया है। इसके अलावा डी. वी. एस. जोग ने कहा कि पुस्तक एक दुर्लभ साहित्यिक कृति के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखेगी, जो मराठी के माध्यम से प्राचीन से प्रारंभिक चीन तक हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा का दर्शन कराती है। इस अवसर पर नाइकवाड़े परिवार की ओर से वरिष्ठ जनों का सम्मान किया गया।
Created On :   19 Feb 2024 12:04 PM GMT