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नाराजगी: उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मनमाना कारोबार, एमएफयूसीटीओ ने शुरू किया आंदोलन
- न्यायालय के निर्णय पर शीघ्र अमल करने की मांग
- परीक्षा कार्य पर असहयोग आंदोलन शुरू करने की चेतावनी
- उच्च शिक्षा विभाग सरेआम कर रहा अवमानना
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्णयों की अवहेलना करने वाले उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा मनमाना कारोबार किया जा रहा है। इसलिए उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अौर संचालक के खिलाफ महाराष्ट्र फेडरेशन ऑफ कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऑर्गनाइजेशन (एमएफयूसीटीओ) ने विरोध आंदोलन शुरू किया है। साथ ही संगठन ने न्यायालय के निर्णयों की तत्काल अमल करने की मांग की है।
नागपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (नुटा) के कार्यालय में मंगलवार को आयोजित पत्रपरिषद में नुटा के अध्यक्ष तथा महाराष्ट्र प्राध्यापक महासंघ के सचिव डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने यह जानकारी दी। इस समय डॉ. नितीन कोंगरे, डॉ. अनिल ढगे और डॉ. अविनाश अणे उपस्थित थे। डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने आगे बताया कि, यह विरोध आंदोलन 14 चरणों में होगा। सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के निर्णयों के प्रति उच्च शिक्षा के सचिव और संचालक के शर्मनाक व्यवहार की संगठन ने कड़ी निंदा की है। साथ ही इस संदर्भ में उच्च शिक्षा मंत्री को निवेदन भी भेजा गया है। यह हठधर्मिता का एक रूप है कि उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसा करने से इनकार कर देते हैं जबकि राज्यपाल और कैबिनेट ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेग्युलेशन की सर्वोच्चता को स्वीकार कर लिया है। फेडरेशन का आरोप है कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कानून की विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों के 90 प्रतिशत पद भरे जाने चाहिए और चयन समितियां इस नियम के अनुसार होनी चाहिए। लेकिन कोर्ट के इस आदेश की अवमानना की जा रही है।
जुलाई 2009 से पहले जिन लोगों ने एम. फिल. डिग्री पूरी की है, ऐसे शिक्षकों को नियुक्ति के पहले दिन से सेवा के साथ अन्य सभी लाभ देने के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए हैं। इसके अलावा 18 जुलाई 2018 के रेग्युलेशन ने एम. फिल, पीएच. डी. धारकों को प्रोत्साहन वृद्धि का उल्लेख किया गया है। लेकिन सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के निर्णयों की उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सरेआम अवमान किया जा रहा है। इसलिए 21 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र प्राध्यापक महासंघ की नाशिक में हुई बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के खिलाफ विरोध आंदोलन चलाने का फैसला लिया गया यह भी जानकारी डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने दी।
न्यायमूर्तियों को भेजी जाएगी पुस्तिका की प्रति : डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने बताया कि, विरोध आंदोलन के अगले चरण में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री एवं तीनों खंडपीठों के न्यायमूर्तियों को पोस्ट द्वारा पुस्तिका की प्रति भेजी जाएगी। साथ ही आंदोलन के अंतिम चरण में विश्वविद्यालय परीक्षा कार्य पर असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा।
Created On :   31 Jan 2024 2:39 PM IST