सर्वे: बढ़ी संभावना, मराठा समाज को मिल सकता है दोहरा लाभ, सर्वे के लिए मिला और दो दिन

बढ़ी संभावना, मराठा समाज को मिल सकता है दोहरा लाभ, सर्वे के लिए मिला और दो दिन
  • आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन का सर्वे
  • घर-घर पहुंच रही प्रशासन की टीम
  • मराठा कुणबी के 57 लाख रिकार्ड मिलने का दावा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील के आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने मराठा कुणबी व कुणबी मराठा को ओबीसी का प्रमाण-पत्र देने का काम शुरू करने के अलावा मराठा व खुले प्रवर्ग का सर्वे भी शुरू किया। मराठा कुणबी को ओबीसी व मराठा को स्वतंत्र आरक्षण मिलने की संभावना बढ़ गई है। ओबीसी आयोग की तरफ से मराठा समाज का आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन का सर्वे किया जा रहा। मराठा समाज को दोहरा लाभ मिलने की संभावना बढ़ गई है।

...तो दोनों हाथ में लड्डू :राज्य सरकार ने मराठा कुणबी के 57 लाख रिकार्ड (अभिलेख) मिलने का दावा किया है। इसी तरह मराठा कुणबी को ओबीसी प्रमाण-पत्र बांटने का काम भी तेजी से शुरू करने का दावा किया है। अब जो मराठा समाज बचा है, उसका सर्वे किया जा रहा है। आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े मराठा समाज को भी स्वतंत्र रूप से आरक्षण देने की तैयारी होने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ तो मराठा समाज के दोनों हाथों में लड्डू जैसी स्थिति बन सकती है। मनोज जरांगे पाटील ने मराठा समाज को ओबीसी से आरक्षण देने की मांग को लेकर आंदोलन किया। जो 57 लाख रिकार्ड मिले, उन्हें ओबीसी का व मराठा समाज के सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वतंत्र रूप से आरक्षण मिलने की संभावना है। राज्य में ओबीसी को केवल 19 फीसदी आरक्षण मिलता है, जबकि आेबीसी की संख्या सबसे ज्यादा है। इसमें अब 57 लाख मराठा कुणबी भी शामिल हो रहे है। आेबीसी में अब एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

मराठा सर्वे... दो दिन समय बढ़ा : नागपुर समेत राज्य में 23 जनवरी से शुरू हुआ मराठा व खुले प्रवर्ग के सर्वे की मियाद दो दिन बढ़ा दी गई है। पहले यह सर्वे 31 जनवरी तक पूरा करना था। जिलाधीशों के अनुरोध पर राज्य ओबीसी आयोग ने सर्वे की मियाद दो दिन बढ़ाकर 2 फरवरी कर दी है।

नागपुर जिले (शहर व ग्रामीण) में हजारों कर्मचारी इस सर्वे में लगे हुए हैं। ग्रामीण में जहां जिलाधीश की निगरानी में वहीं शहर में मनपा आयुक्त की निगरानी में सर्वे हो रहा है। एक प्रगणक को 100 से अधिक परिवार की जिम्मेदारी दी गई है। तीन प्रगणक पर एक सुपरवायजर नियुक्त किया गया है। प्रगणक को वैसे तो सभी के घर जाना है, लेकिन जानकारी केवल मराठा व खुले प्रवर्ग की ही फीड करना है। सारी जानकारी आनलाइन भरना है। इसके लिए बाकायदा साफ्टवेयर तैयार किया गया है। सर्वे में शासकीय व निजी कर्मचारी लगे हुए है। आेबीसी आयोग की तरफ से पूणे की गोखले इंस्टिट्यूट को यह काम दिया गया है। सर्वे का डेटा मिलने के बाद ओबीसी आयोग बजट सेशन के पहले अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजने की तैयारी में है।

Created On :   31 Jan 2024 10:51 AM IST

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