- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- बीमारी ने रोकी किलकारी, पेल्विक...
बीमारी ने रोकी किलकारी, पेल्विक टीबी से पीड़ित महिलाओं में बांझपन का खतरा

चंद्रकांत चावरे , नागपुर। जिले में सालाना 50 महिलाएं पेल्विक टीबी से पीड़ित होती हैं। इस बीमारी से ग्रस्त होने के कारण कुछ महिलाएं को बांझपन की समस्या आ जाती है। हालांकि इसका प्रमाण अधिक नहीं है, फिर भी ऐसा होना महिलाओं के लिए जीवनभर का दर्द बन जाता है। मेडिकल में सालाना टीबी के 1000 मरीज आते हैं। वहीं नागपुर ग्रामीण में टीबी के सालाना 2800 से अधिक मरीज दर्ज होते हैं। मेडिकल के मरीजों में 400 महिलाएं होती हैं। उनमें से 8 महिलाएं पेल्विक टीबी की मरीज होती हैं। वहीं, ग्रामीण में कुल मरीजों में से 1150 महिलाओं को टीबी होती है। इनमें से 26 महिलाआें को पेल्विक टीबी होती है।
शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के टीबी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यहां सालाना टीबी के औसत 1000 मरीज दर्ज होते हैं। कुल मरीजों में से 600 पुरुष व 400 महिलाओं का समावेश होता है। 400 महिलाओं में 2 फीसदी यानी 8 महिलाओं को पेल्विक टीबी होती है। जिला टीबी विभाग की जानकारी के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र में बीते साल 2884 मरीज दर्ज किए गए हैं। इनमें से 1732 पुरुष और 1152 महिलाओं का समावेश है। महिलाओं में से 26 को पेल्विक टीबी होने का पता चला है।
सरकारी अस्पतालों में जांच व उपचार केंद्र
मेडिकल में पेल्विक टीबी से ग्रस्त महिलाओं में से 40 फीसदी को बांझपन होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। यानी औसत 3 से 4 महिलाएं बांझपन का शिकार होती हैं। इस विषय को लेकर ग्रामीण में स्थिति स्पष्ट नहीं है। जबकि यहां बीते साल पेल्विक टीबी के 26 मामले सामने आये थे। इसी तरह इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में भी टीबी के मरीजों के लिए लिए अलग विभाग है। नागपुर महानगर पालिका की तरफ से शहरी क्षेत्र में टीबी रोग नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य केंद्र हैं।
जांच में पता चलता है बीमारी...
टीबी (क्षय रोग) माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होता है। यह रोग फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। यह संक्रामक रोग है। रोगी के खांसने, छींकने या बोलने से अन्य व्यक्ति को संक्रमित हो सकता है। जब टीबी का जीवाणु गर्भाशय पर हमला करता है, तो वहां पेल्विक टीबी होती है। जब बांझपन की जांच की जाती है, तब इसका पता चलता है। यह रोग महिलाओं को प्रसव अवधि के दौरान प्रभावित करता है। इसके जीवाणु जननांग पर हमला करते हैं। इसलिए बांझपन जैसी त्रासदी का शिकार होना पड़ता है। फेफड़ों में संक्रमण होने पर शुरुआत में ही पता चल जाता है। यदि जीवाणु सीधे जननांग व आसपास के अंगों पर हमला करता है तो प्राथमिक चरण में इसका पता लगाना मुश्किल होता है। टीबी के मरीजों का प्रमाण ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है। इसका कारण वहां स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता का अभाव है।
Created On :   10 Jun 2023 2:41 PM IST