वन्यजीव व पर्यावरण: पेंच के गिद्धों साथ घुलने-मिलने लगे हैं एविएरी के गिद्ध , साथ-साथ घूमते दिख रहे

  • होने लगी थी गिद्धों की कमी
  • अब जीने लगे प्राकृतिक जीवन
  • 5 किमी की दायरे में घूम रहे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पेंच व्याघ्र प्रकल्प में गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए सप्ताहभर एक प्रयोग किया गया। एविएरी में रखे गिद्धों को जंगल में छोड़ा गया था। इन्हें मॉनिटर करने के लिए इन पर एक जीपीएस टैग भी लगाया है। जिससे वन विभाग इन पर नजर रखे हुए है। एक सप्ताह बाद मिली रिपोर्ट के आधार पर गिद्धों को जंगल में छोड़ने का प्रयोग सफल दिख रहा है। क्योंकि अब एविएरी के गिद्ध 5 किमी तक दूर फैल गये हैं, वहीं जंगल में मौजूद अन्य प्रजातियों के गिद्धों के साथ मिलकर प्राकृतिक जीवन भी जीने लगे हैं। बुधवार की सुबह एविएरी से छोड़े लॉंग बिल्ड वल्चर को जंगल के वाइल्ड रमंड वल्चर व रेड हेडेड वल्चर के साथ देखा गया। जो कि जंगल में पड़े एक मृत चीतल को खा रहे थे।

क्या है यह प्रयोग : बता दे कि विदर्भ के जंगलों में गिद्धों की संख्या तेजी से कम होते जा रही है। जिसके कारण वन विभाग की ओर से एक प्रयोग किया जा रहा है। जिसमें हरियाणा के एक हेचरी से लंबी चोच वाले गिद्धों को नागपुर के पेंच में लाया गया था। यहां इनके लिए बने एविएरी ( पिंजरे ) में इन्हें रखा गया था। करीब 8 महीने तक इन गिद्धों को यहां प्राकृतिक जीवन जीने का प्रशिक्षण भी दिया गया था। इसके बाद करीब एक सप्ताह पहले इन गिद्धों को जंगल में प्राकृतिक जीवन जीने के लिए छोड़ा गया। इसका मुख्य उद्देश्य यह है, कि इन गिद्धों को जंगल के गिद्धों के साथ मिक्स कर इनकी संख्या में तेजी से इजाफा कराना है, ताकि इनके माध्यम से पर्यावरण का संतुलन भी बना रहे।

सभी अलग-अलग दिशा में : हालांकि पहले एक से 4 दिन तक यह गिद्ध एविएरी से दूर नहीं जा रहे थे वही जंगल में मिलनेवाले प्राकृतिक मांस को भी नहीं खा रहे थे। ऐसे में वन विभाग को इनके लिए खाने का प्रबंध करना पड़ रहा था। लेकिन सप्ताहभर के बाद इनके जीपीएस से जब मॉनिटरिंग की गई, तो वन विभाग ने पाया कि, सभी गिद्ध जंगल के जीवन में घुलने-मिलने लगे हैं।

Created On :   21 Aug 2024 12:54 PM GMT

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