फूड पाइजनिंग: सिंघाड़े के आटे से बने सेव खाने से 10 लोगों को विषबाधा, 12 दिन में दूसरी घटना

सिंघाड़े के आटे से बने सेव खाने से 10 लोगों को विषबाधा, 12 दिन में दूसरी घटना
  • बीमारों को किम्स-किंग्सवे अस्पताल में किया भर्ती
  • तीन महिलाओं की तबीयत अधिक बिगड़ने पर आईसीयू में
  • सैंपल नागपुर और कुछ मुंबई में भेजे गए

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में महाशिवरात्रि पर्व पर सिंघाड़े के आटे से बने पदार्थों का सेव करने से 135 लोगों को विषबाधा हुई थी। अभी इस घटना को लोग भूले भी नहीं थे कि गुरुवार को फिर एक बार सिंघाड़े के आटे से बने पदार्थ खाने से तीन महिला समेत और सात पुरुष मिलाकर कुल 10 लोगों को विषबाधा हुई हैै। सभी को किम्स-किंग्सवे अस्पताल में भर्ती किया गया है।

3 महिलाओं को रखा आईसीयू में : प्राप्त जानकारी के अनुसार, मिहान स्थित एक फार्मा कंपनी में काम करने वाले 10 कर्मचारियों ने कंपनी की कैंटीन में सिंघाड़े के आटे से बने सेव खाए थे। इसके तीन-चार घंटे बाद सभी का जी मचलने लगा। उन्हें उल्टियां व पेट दर्द हाेने लगी। कुछ लोगों को सर्दी महसूस होने लगी। वे कंपकंपाने लगे थे। कंपनी में कार्यरत अधिकारियों ने सभी कर्मचारियों को तुरंत किम्स-किंग्सवे अस्पताल में भर्ती किया। इन मरीजों पर उपचार कर रहे डॉ. हर्षवर्धन बोरा ने बताया कि महाशिवरात्रि के समय जिस कारणों से विषबाधा हुई थी, ताजा घटना भी उसी तरह हुई है। कच्चे खाद्य पदार्थ में अफ्ला टाॅक्सीन होने पर विषबाधा होती है।

भर्ती मरीजों में से तीन महिलाओं की तबीयत अधिक बिगड़ने से उन्हें आईसीयू में रखा गया है। वहीं 7 पुरुषों को दूसरे वार्ड में रखा गया। खबर लिखे जाने तक सभी की स्थिति सामान्य बताई गई है। फिर भी उन्हें 24 घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। डॉ. बोरा ने बताया कि आटे जैसी पैकिंग सामग्री में 30 दिन के बाद फंगस होना शुरू हो जाता है। इससे अफ्ला टॉक्सीन पैदा होने पर विषबाधा का खतरा होता है। इससे मृत्यु का खतरा भी बना रहता है। अफ्ला टॉक्सीन के कारण लिवर प्रभावित होता है।

पुराने सैंपल की नहीं मिली रिपोर्ट : जिले में 9 मार्च को शहर व ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी व निजी अस्पतालों में 135 से अधिक मरीज भर्ती हुए थे। उपवास के लिए बाजार में बिक रहे सिंघाड़े के आटे से बने पदार्थ सेवन करने से यह घटना होने की पुष्टि की गई थी। उस समय अन्न व औषधि प्रशासन (एफडीए) ने 9 सैंपल संग्रहित किए थे। इस घटना को 12 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक विभाग के पास उन सैंपलों की रिपोर्ट नहीं आई है। सैंपल नागपुर और कुछ मुंबई में भेजे गए हैं। इस घटना में 8 संस्थानों पर कार्रवाई कर 1.32 लाख रुपए का माल जब्त किया गया था। गुरुवार को हुई घटना में भी एफडीए ने जहां घटना हुई, वहां टीम भेजी है। रिपोर्ट शाम तक विभाग को नहीं मिल पाई थी।

जानलेवा खेल, सतर्क नहीं एफडीए : सूत्रों ने बताया कि शिवरात्रि से अब तक दो घटनाएं हो चुकी है। एक तरह से लोगों की जान से खेला जा रहा है। बावजूद एफडीए सतर्क नहीं है। खाद्यसामग्रियों की गुणवत्ता जांच, प्रॉडक्शन व एक्सपायरी डेट, आदि को देखना अन्न व औषधि प्रशासन की जिम्मेदारी है। बावजूद विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की जाती है। विभाग की टीम घटनाएं होने के बाद वहां जांच करने पहुंचती है, सैंपल लेती है और उसे प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिया जाता है। महीनों तक रिपोर्ट नहीं मिल पाती, और लोगों की जान से खिलवाड़ का खेल चलता रहता है।


Created On :   22 March 2024 2:49 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story