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कोर्ट के आदेश: नागपुर सुधार प्रन्यास के भूखंड पर अवैध कब्जा, तीन सप्ताह में सुनवाई पूरी करें
- हाई कोर्ट का नासुप्र के साथ अन्य प्रतिवादी को आदेश
- याचिका दायर कर भू-खंड घोटाले का मुद्दा उठाया
- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भी आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर सुधार प्रन्यास के भूखंड पर अवैध कब्जे के मामले पर 2004 से बाॅम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका प्रलंबित है। 20 साल से प्रलंबित इस याचिका का कोर्ट को निपटारा करना है। इसलिए कोर्ट ने सभी पक्षों को आखिरी मौका दिया है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी पक्ष और खासकर नासुप्र तैयार रहे और तीन सप्ताह के भीतर अपनी सुनवाई पूरी करे। विशेष बात यह है कि इसी जनहित याचिका से जुड़े एक मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भी आरोप लगा था।
इस कारण शिंदे का नाम : अनिल वडपल्लीवार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस भू-खंड घोटाले का मुद्दा उपस्थित किया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि नासुप्र के अधिकार क्षेत्र के तहत शहर में कई जमीनों को निजी व्यक्तियों और संगठनों के नाम पर अवैध रूप से वर्गीकृत किया गया है। इन जमीनों में हरपुर के 16 भूखंड भी शामिल हैं। 2021 में तत्कालीन शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने इस भूखंड को नियमित करने का निर्णय लिया था, जब यह मामला उच्च न्यायालय में प्रलंबित था। मामले पर काफी हंगामे के बाद शिंदे ने दिसंबर 2022 में यह फैसला वापस ले लिया और बताया कि नासुप्र की गलती के कारण उन्होंने यह फैसला लिया था।
अगली सुनवाई 24 फरवरी को :मामले पर हुई सुनवाई में न्यायालय मित्र एड. शरद भट्टड़ ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट और राज्य सरकार दोनों ने इस मामले में एक कमेटी नियुक्त की है। दोनों समितियों की रिपोर्ट में कुछ अंतर हैं। इसलिए दोनों रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने एड. भट्टड को ऐसा करने की इजाजत दे दी। साथ ही, कोर्ट ने नासुप्र को इन जमीनों से संबंधित प्रलंबित मध्यस्थता आवेदनों पर तीन सप्ताह के भीतर सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी पक्ष तीन सप्ताह के भीतर आपनी तैयारी पूरी कर लें। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 24 फरवरी को रखी है।
Created On :   30 Jan 2024 5:52 AM GMT