मुद्दा: बाढ़ का रोड़ा, अध्ययन के बाद होगा विवेकानंद स्मारक स्थानांतरण पर फैसला

बाढ़ का रोड़ा, अध्ययन के बाद होगा विवेकानंद स्मारक स्थानांतरण पर फैसला
  • उच्च स्तरीय समिति को निर्णय लेने के आदेश दिए थे
  • विभागीय आयुक्त ने 9 महीने का समय मांगा
  • अंबाझरी बांध की सुरक्षा पर हाई कोर्ट में शपथपत्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर है। कोर्ट ने अंबाझरी स्थित स्वामी विवेकानंद स्मारक को उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति को निर्णय लेने के आदेश दिए थे। इसके चलते पिछली सुनवाई में नागपुर विभागीय आयुक्त विजयालक्ष्मी बिदरी ने हाई कोर्ट में शपथपत्र दायर कर विवेकानंद स्मारक के स्थानांतरण को लेकर अध्ययन के लिए 9 महीने का समय देने कोर्ट से अनुरोध किया था।

नियमित करने पर विचार : पुणे स्थित सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन (सीडब्ल्यूपीआरएस) को विवेकानंद स्मारक और नाग नदी के हाइड्रोलिक का अध्ययन एवं रिपोर्ट तैयार करने के लिए 9 महीने का समय लगने वाला है। अब राज्य के नगर रचना विभाग के प्रधान सचिव डॉ. के. एच. गोविंदराज ने भी कोर्ट में शपथपत्र दायर करते हुए कहा कि सीडब्ल्यूपीआरएस की अध्ययन रिपोर्ट में स्मारक को स्थानांतरित करने की सिफारिश की जाती है, तो स्मारक को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया जाएगा। अगर यह स्मारक बाढ़ में अवरोध नहीं बन रहा, तो सरकार विवेकानंद स्मारक को नियमित करने का विचार कर सकती है।

निर्माण पर सवाल : पिछले साल सितंबर में इस परिसर में बाढ़ आने से हजारों लोगों को नुकसान हुआ था। मामले की न्यायालयीन जांच की मांग करते हुए नुकसानग्रस्त रामगोपाल बचुका, जयश्री बंसोड, नत्थूजी टिक्कस ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया गया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अंबाझरी के प्रवाह में बाधा डाल रहे स्वामी विवेकानंद स्मारक के स्थानांतरण से लेकर नाग नदी में हुए अतिक्रमण पर नगर रचना विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए थे। इसी के चलते डॉ. गोविंदराज ने शपथपत्र दायर करते हुए सीडब्ल्यूपीआरएस को विवेकानंद स्मारक और नाग नदी हाइड्रोलिक का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 7 महीने की अवधि देने का कोर्ट से अनुरोध किया है।

शपथपत्र में विरोधाभास : प्रधान सचिव शपथपत्र में एक आेर सिंचाई विभाग के सर्कुलर के आधार पर स्मारक प्रतिबंधित क्षेत्र में आने की बात स्वीकार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी 2 फरवरी 2005 के जीआर के अनुसार राज्य सहित संबंधित अधिकारियों से सभी आवश्यक अनुमति प्राप्त करके स्मारक की स्थापना करने की भी बात कर रहे हैं, इसलिए शपथपत्र में विवेकानंद स्मारक को लेकर विरोधाभास निर्माण हो रहा है।

अब तक कोई जवाब नहीं : अंबाझरी तालाब के पास निर्मित स्वामी विवेकानंद स्मारक प्रवाह में बाधा डाल रहा है। यह खुद सिंचाई विभाग ने स्पष्ट किया है। इसके बावजूद सरकार अपनी ही नीति के खिलाफ जाकर सर्वे के नाम पर विवेकानंद स्मारक को बचाने का प्रयास क्यों कर रही है? सरकार को स्मारक लोगों की जान से ज़्यादा महत्वपूर्ण क्यों है? यह सवाल करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था, लेकिन कोर्ट के इस सवाल पर सरकार द्वारा अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।

Created On :   29 Jun 2024 2:53 PM IST

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