फटकार: कोर्ट ने कहा- जिलाधिकारी एक तरह से सिर्फ मुख्य सचिव के पोस्टमैन की भूमिका निभा रहे

कोर्ट ने कहा- जिलाधिकारी एक तरह से सिर्फ मुख्य सचिव के पोस्टमैन की भूमिका निभा रहे
गड़चिरोली जिलाधिकारी को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गड़चिरोली जिले के दुर्गम इलाके के लोक आज भी स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं से वंचित होने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर है। मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने दुर्गम इलाके के विकास कार्यों के लिए फंड उपलब्ध कराने में हो रहे देरी पर गड़चिरोली के जिलाधिकारी को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि, गड़चिरोली के जिलाधिकारी एक तरह से सिर्फ मुख्य सचिव के पोस्टमैन की भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही कोर्ट ने गड़चिरोली के जिलाधिकारी को अगली सुनवाई में हाजिर रहने के आदेश दिए।

कोर्ट ने नाराजी जताई : मामले पर हुई सुनवाई में विकास कार्यों को लेकर जिलाधिकारी द्वारा दायर शपथपत्र पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। साथ ही सरकार द्वारा निधि उपलब्ध कराने में हो रही देरी पर जिलाधिकारी को अगली सुनवाई में हाजिर रहने के आदेश दिए। न्यायालय मित्र के तौर पर एड. रेणुका सिरपुरकर ने पैरवी की।

गांव भौगोलिक रूप से पिछड़े हैं : दुर्गम इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित होने की बात पर वहां के ग्रामीणों ने सीधे हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। वेंगनूर पूर्णतः आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत है। इसके अंतर्गत वेंगनूर, सुरगांव, अलंगेपल्ली, पडकोटोला गांव शामिल हैं। ये गांव भौगोलिक रूप से पिछड़े हैं और दीना परियोजना कन्नमवार जलाशय को लगकर घने जंगल में स्थित है।

मानसून के दौरान जलाशय पूरी तरह से भर जाता है और इस पर कोई पुल नहीं होने के कारण इस गांव तक पहुंचना असंभव है। मानसून के दौरान सभी गांव का करीब पांच महीने तक बाकी दुनिया से संपर्क टूट जाता है। कोर्ट ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए खुद होकर जनहित याचिका दायर की है। इसके चलते राज्य सरकार ने कोर्ट में शपथपत्र दायर कर बताया था कि, दीना जलाशय पर रेगड़ी से वेंगनूर तक 450 मीटर बड़े पुल के निर्माण को प्रशासनिक मंजूरी दी गई है। साथ ही इस बजट वर्ष में फंड का प्रावधान भी किया गया है। पिछली सुनवाई में गड़चिरोली के जिलाधिकारी ने कोर्ट में शपथपत्र दायर करते हुए विकास कार्यों के लिए सरकार की ओर से निधि उपलब्ध ना होने की बात बताई थी।

आदिवासी विकास विभाग से मांगा जवाब विकास कार्यों के लिए निधि उपलब्ध कराने को लेकर कोर्ट ने आदिवासी विकास विभाग को जवाब दायर करने के आदेश दिए। साथ ही कोर्ट ने प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत यह विकास कार्य किए जा सकता है क्या? इस पर केंद्र सरकार को भी शपथपत्र दायर करने को कहा है। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद रखी है।

Created On :   22 Feb 2024 10:19 AM GMT

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