मांग: नए कानून के हिसाब से किसानों को अधिगृहीत भूमि का मुआवजा देने की लगाई गुहार

नए कानून के हिसाब से किसानों को अधिगृहीत भूमि का मुआवजा देने की लगाई गुहार
  • गैस पाइप लाइन परियोजना का मामला
  • हाई कोर्ट का केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस
  • भूमि अधिगृहीत किसानों को नए कानून के तहत मुआवजा देने की मांग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर जिले में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) के गैस पाइप लाइन परियोजना के तहत किए जाने वाले भूमि अधिगृहीत किसानों को नए कानून के तहत मुआवजा देने की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की गई है। मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार, गेल और जिलाधिकारी को नोटिस जारी करते हुए 14 फरवरी तक जवाब दायर करने के आदेश दिए।

इसलिए मुआवजे के फैसले का विरोध

नागपुर खंडपीठ में दिलीप धांदे और अन्य किसानो ने याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, वर्तमान में विदर्भ में गेल की विभिन्न परियोजनाएं चल रही हैं। इसमें मुंबई से नागपुर, नागपुर से झारसुगड़ा (ओडिशा) और नागपुर से जबलपुर (मध्य प्रदेश) की परियोजनाएं चल रही हैं। इन मार्गों पर ये गैस पाइप लाइनें बिछाई जाने वाली हैं। इसके लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। पेट्रोलियम और खनिज पाइपलाइन अधिनियम के अनुसार, किसानों या भूमि मालिकों को बाजार मूल्य से 10 प्रतिशत अधिक भुगतान किया जाता है। लेकिन इन किसानों को भूमि अधिग्रहित कानून 1962 के तहत मुआवजा दिया जाने वाला है। हालांकि, इन परियोजनाओं से किसानों का नुकसान अधिक है, इसलिए याचिकाकर्ता किसानों ने गेल के इस मुआवजे के फैसले का विरोध किया है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि गेल द्वारा पुराने कानून के तहत किसानों को मुआवजा देना पूर्णतया अवैधानिक और त्रुटिपूर्ण है। इसलिए नए भूमि अधिग्रहित कानून 2013 के अनुसार मुआवजा देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. टी. आर. कुमार और एड. एस. व्ही. ताकसांडे ने पैरवी की।

अधिक मुआवजे की मांग

गेल की विभिन्न परियोजनाओं में जिले के किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा। एक बार जब पाइपलाइन खेत से गुजर जाएगी, तो वे उस जगह पर कभी भी फलों की फसल नहीं उगा पाएंगे। इसलिए, इन परियोजनाओं से होने वाले नुकसान को देखते हुए किसानों ने अधिक मुआवजे की मांग की है। किसानों को कहना है कि क्षेत्र के किसानों के जीवनयापन का एकमात्र साधन खेती ही है ऐसे में उनकी भूमि उनके हाथ से चले जाने से उनके पास गुजरबसर का दूसरा कोई साधन नहीं बच जाता है।


Created On :   24 Jan 2024 4:59 AM GMT

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