उम्मीद: प्रकल्पग्रस्तों की ली सुध, नौकरी में सख्ती से होगा ‘समांतर आरक्षण’ का पालन

प्रकल्पग्रस्तों की ली सुध, नौकरी में सख्ती से होगा ‘समांतर आरक्षण’ का पालन
  • हाई कोर्ट में राज्य सरकार का शपथ-पत्र
  • सीधे सेवा भर्ती में प्रकल्पग्रस्तों का है मुद्दा
  • नौकरी को लेकर दायर की गई थी याचिका

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को प्रकल्पग्रस्तों के नौकरी आरक्षण पर भूमिका स्पष्ट करने के आदेश दिए थे। इस मामले में राज्य सरकार सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव सुमंत भांगे ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि प्रकल्पग्रस्तों को नौकरी में आरक्षण देने के संबंध में राज्य सरकार की नीति स्पष्ट है, अब सीधे सेवा भर्ती में प्रकल्पग्रस्तों को दिए जाने वाले समांतर आरक्षण का सख्ती से पालन किया जाएगा। साथ ही सरकार ने इस संदर्भ में 25 जनवरी 2024 को जारी किए गए परिपत्रक की भी जानकारी दी।

एक जिले की नहीं, जनहित की मांग: कोर्ट : नागपुर खंडपीठ में राज्य सरकार पुर्नवास अधिनियम के अनुसार, गोंदिया जिले केA petition has been filed demanding that the project affected people be given reservation in jobs.

​। प्रकल्पग्रस्तों के लिए शासन वर्ग 3 और वर्ग 4 में नौकर भर्ती में 5 प्रतिशत आरक्षण देते हुए विज्ञापन निकाला जाए, यह मांग भी याचिका में की गई है। मामले पर हुई सुनवाई में कोर्ट के ध्यान में आया कि यह मामला सिर्फ गोंदिया जिले के प्रकल्पग्रस्तों के लिए सीमित नहीं है। यह जनहित की मांग है। इसलिए कोर्ट ने याचिका को जनहित याचिका में वर्ग करने के आदेश दिये। साथ ही कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग को प्रकल्पग्रस्तों के नौकरी आरक्षण पर जवाब दायर करने को कहा था। इसके चलते सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव ने शपथ-पत्र दायर करते हुए प्रकल्पग्रस्तों को नौकरी में समांतर आरक्षण का सख्ती से पालन करने की जानकारी दी। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अनिल ढवस, एड. कौस्तुभ भिसे ने पैरवी की।

सामाजिक और समांतर आरक्षण क्या है सीधी सेवा भर्ती के लिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण नीति लागू है। यह सामाजिक आरक्षण है इसे "वर्टिकल रिजर्वेशन' कहा जाता है। इसी तरह, कुछ विशेष श्रेणियों के दिए जाने वाले आरक्षण को समांतर आरक्षण या "हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन' कहा जाता है। इस विशेष श्रेणियों में महिला, भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांग, खिलाड़ी, प्रकल्पग्रस्त, भूकंपग्रस्त, अंशकालिक स्नातक, अनाथ शामिल हैं।

विज्ञापन में पदों की संख्या दर्शाना जरूरी सरकार के इस परिपत्रक के अनुसार, समानांतर आरक्षण पदों को भरने के लिए, पदों का निर्धारण करते समय तथा भर्ती विज्ञापन जारी करते समय विज्ञापन में सामाजिक आरक्षण पदों की संख्या के उल्लेख के साथ अब सामाजिक आरक्षण की प्रत्येक श्रेणी में समानांतर आरक्षण के तहत आरक्षित पदों की संख्या दर्शाना भी जरूरी है।

Created On :   28 Feb 2024 11:21 AM IST

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