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बीमारी: प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में रोज आते हैं 200 मरीज, 100 को अनिद्रा
- अनदेखी की गई तो मनोरोगी होने का खतरा
- समय पर उपचार करने से बीमारी से बचा जा सकता है
- नींद नहीं आने के अनेक कारण बताए जाते
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय की ओपीडी में आने वाले 50 फीसदी को नींद न आने की बीमारी (अनिद्रा) पाई जा रही है। यहां आने वाले मरीजों की यही शिकायत होती है कि उन्हें नींद नहीं आती। यह प्राथमिक चरण होता है। समय पर उपचार करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। अलग-अलग कारणों से होने वाली इस बीमारी की अनदेखी की गई तो मनोरोगी होने का खतरा बना रहता है। मनोचिकित्सालय की ओपीडी में हर रोज 200 मरीज आते हैं, इनमें से 50 फीसदी यानि 100 मरीजों को अनिद्रा की बीमारी होती है।
अधिकतर की एक ही शिकायत : नींद नहीं आने के अनेक कारण बताए जाते हैं। इसमें पारिवारिक समस्या, पुलिस थाने, कोर्ट के चक्कर, संपत्ति विवाद, कार्यस्थल का तनाव, शिक्षा, नोकरी न लगना, स्पर्धाएं, न भूलनेवाली घटनाएं, अनेक तरह की जिम्मेदारियांे का बोझ आदि के चलते व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है। नींद नहीं आने के सामान्य कारण सामने आये है। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय सूत्रों के अनुसार, जब मरीज जांच के लिए आते हैं, तो कारण पूछने पर अधिकतर नींद नहीं आने की शिकायत करते हैं।
युवा रखें ध्यान : वर्तमान जीवनशैली, खानपान, नशाखोरी, मोबाइल आदि के चलते व्यक्ति का जीवन असंतुलित हो चुका है। इसलिए 18 साल से उपरी आयु वर्ग वालों में नींद न आने की बीमारी बढ़ रही है। कुछ महीने औषधोपचार से यह बीमारी सुधर जाती है, लेकिन हालात के साथ दोबारा हो सकती है।
सावधानी बरतें तो आएगी नींद
सूत्रों के अनुसार, नींद न आने की बीमारी को कुछ प्रयोग करके भगा सकते हैं। शरीर को तेज व भागदौड़ वाली गतिविधियों से रोककर आराम देना चाहिए।
सोने से पहले तेज रोशनी से दूर हो जाना चाहिए।
नींद के समय मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
नींद आने पर जबरन जागने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
दोपहर में झपकी लेने से रात की नींद नहीं हो पाती।
नियमित रूप से व्यायाम करने वालों को नींद अच्छी आती है।
लगातार रात को शराब व अन्य प्रकार का नशा करने से नींद नहीं आने की बीमारी लगती है।
Created On :   16 July 2024 7:54 AM GMT