नागपुर: त्वचा रोग विभाग में 25 फीसदी मरीज ठंड के शिकार

त्वचा रोग विभाग में 25 फीसदी मरीज ठंड के शिकार
  • ठंड बढ़ते ही त्वचा को घेर लेती है विविध बीमारियां
  • त्वचा विकार में प्रदूषण भी बड़ा कारण

डिजिटल डेस्क, नागपुर. मौसम बदलने का शरीर पर असर होना सामान्य बात है। तापमान बढ़ने-घटने का शरीर पर प्रभाव होता है। इन दिनों ठंड बढ़ी है। ठंड का सर्वाधिक असर त्वचा पर होता है, इसलिए ठंड के मौसम में त्वचा का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। अन्यथा विविध तरह के त्वचा विकार होते हैं। मेडिकल अस्पताल के त्वचा रोग विभाग में आने वाले कुल मरीजों में से 25 फीसदी मरीज ठंड के विकारों से पीड़ित पाए जा रहे हैं। यहां की औसत ओपीडी 400 मरीज प्रतिदिन है। इनमें 100 मरीज ठंड के कारण होने वाली बीमारियों से ग्रस्त बताए गए हैं।

ठंड बढ़ते ही त्वचा को घेर लेती है विविध बीमारियां

प्राकृतिक तेल खत्म होने से समस्या : त्वचा रोग विभाग प्रमुख डॉ. जयेश मुखी ने बताया कि, सर्दियों के दौरान आर्द्रता के स्तर में कमी आती है, जिससे त्वचा अधिक तेज़ी से शुष्क हो जाती है। कम नमी के कारण त्वचा की नमी कम हो जाती है, जिससे सूखापन, जलन, खुजली और चकते हो जाते हैं। लंबे समय तक गर्म फुहारें लेने से त्वचा का प्राकृतिक तेल खत्म हो सकता है, जिससे सूखापन बढ़ जाता है और चकतों का खतरा बढ़ जाता है। कृत्रिम इनडोर हीटिंग सिस्टम हवा में नमी के स्तर को और भी कम कर सकता है, जिससे त्वचा और भी अधिक शुष्क होती है। मोटे कपड़े पहनने से त्वचा पर घर्षण होता है, जिससे जलन और चकते हो सकते हैं। शुष्क और ठंडे मौसम के कारण त्वचा अधिक संवेदनशील होकर फटने का खतरा होता है। नमी कम होने से खुजली के बाद सोरायसिस का खतरा भी बना रहता है। विभाग में आने वाले 25 फीसदी मरीजों में यही लक्षण दिखायी दे रहे हैं।

त्वचा विकार में प्रदूषण भी बड़ा कारण

मौसम के बदलते ही मेडिकल के अलग-अलग विभागों मे एलर्जी के मरीज बढ़ जाते हैं। त्वचा रोग विभाग की ओपीडी में रोज औसत 400 मरीज आते हैं। इनमें से 25 फीसदी यानि 100 मरीज ठंड के कारण त्वचा विकार के होते हैं। इन मरीजों में ठंडे और शुष्क मौसम के कारण सूखापन, खुजली और जलन के मरीजों का समावेश होता है। इससे मरीजों में चकते व त्वचा की विविध समस्याएं दिखायी देने लगी हैं। दूसरी ओर बढ़ता प्रदूषण भी बड़ा कारण है। इसके अलावा डेंगू, कोरोना या अन्य वायरल रोगों से मुक्त हुए लोगों में भी खुजली, एलर्जी और दाने या चकते की समस्या अधिक देखी जा रही है। ठंड व सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से त्वचा में सूखेपन के कारण खुजली की समस्या बढ़ रही है। बढ़ता प्रदूषण चर्म रोगों का बड़ा कारण बनता जा रहा है।

शारीरिक श्रम भी जरूरी है

ठंड के मौसम में त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग आवश्यक है। एक हल्के क्लींजर का उपयोग करने से प्राकृतिक तेल बना रहता है। नमी बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइज़र का उपयोग किया जा सकता है। सर्दी के मौसम के अनुसार कपड़े पहनना जरूरी होता है। खुले हिस्सों को ढकने और गर्मी बनाए रखने के लिए दस्ताने, स्कार्फ और टोपी पहननी चाहिए। ध्यान या योग जैसी गतिविधियों के माध्यम से तनाव मुक्त रहने से त्वचा स्वस्थ रहती है। अधिक गर्म पानी से स्नान करने से त्वचा का तेल खत्म हो जाता है। शारीरिक श्रम से रक्तसंचरण से त्वचा स्वस्थ रहती है।

डॉक्टर से जांच करवाकर उपचार लें

डॉ. जयेश मुखी, त्वचा रोग विभाग प्रमुख, मेडिकल के मुताबिक जब-जब भी मौसम में बदलाव होता है, तब-तब त्वचा विकार होता है। ऐसे में अपनी मर्जी से उपचार करने की बजाय डॉक्टर से जांच करवाना चाहिए, ताकि सही तरीके से उपचार किया जा सके। अपनी मर्जी से उपचार करने पर त्वचा स्वस्थ होने की बजाय विपरीत प्रभाव भी हो सकता है और लंबे समय तक उपचार करवाना पड़ सकता है।



Created On :   18 Dec 2023 2:21 PM GMT

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