बॉम्बे हाईकोर्ट: महिला को मिली नाबालिग बेटी के साथ अमेरिका स्थानांतरित होने की इजाजत

महिला को मिली नाबालिग बेटी के साथ अमेरिका स्थानांतरित होने की इजाजत
  • महिला ने बेटी को अमेरिका ले जाने की अदालत में लगाई थी गुहार
  • महिला का नाबालिग बेटी को लेकर पूर्व पति था विवाद

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला को अपनी नाबालिग बेटी के साथ अमेरिका में स्थानांतरित होने की इजाजत दे दी है। हालांकि अदालत ने इस शर्त महिला को अनुमति दी है कि वह नाबालिग बेटी को अपने तलाक शुदा पति से संपर्क बनाए रखने देगी। यदि ऐसा करने में विफल रहती है, तो वह पुणे में सह-स्वामित्व वाले फ्लैट में अपना 50 प्रतिशत हिस्सा खो देगी।

न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एम.एम. सथाये की खंडपीठ के समक्ष महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में अदालत से उसके पास रह रही नाबालिग बेटी को अमेरिका ले जाने की अनुमति मांगी थी। दंपति ने साल 2020 में तलाक के लिए आपसी सहमति जताई थी, लेकिन उसकी नाबालिग बेटी से संपर्क रखने को लेकर विवाद हो गया। पुणे की एक पारिवारिक अदालत ने बेटी की कस्टडी मां को दे दी थी, लेकिन कहा था कि पिता के संपर्क में उसे रहने दी जानी चाहिए।

पिछले तीन वर्षों में दोनों पक्षों ने अदालत में कई याचिकाएं दायर की, जिसमें उस व्यक्ति की अवमानना याचिका भी शामिल थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसे अपनी बेटी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। जब महिला ने अमेरिका में स्थानांतरित होने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर किया, तो खंडपीठ ने महिला और उसके पूर्व पति अपने विवादों को सुलझाने का निर्देश दिया। इसके बाद दोनों ने खंडपीठ के समक्ष अपनी सहमति की शर्तें दायर कीं। खंडपीठ ने कहा कि अलग हो चुके पति ने अपनी बेटी को मां के साथ अमेरिका में स्थानांतरित होने की अनुमति देने के लिए अपनी सहमति दे दी है, लेकिन इस शर्त पर कि उसे बेटी से संपर्क में रहने की अनुमति भी दी जानी चाहिए और याचिकाकर्ता उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले वापस ले लेगी।

व्यक्ति ने यह आशंका जताई कि उसकी बेटी तक पहुंच के लिए सहमति शर्तों मंय प्रावधान किए गए हैं, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इसका पालन किया जाएगा। अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि बेटी से पहुंच के संबंध में महिला सहमति की शर्तों की जानबूझकर अवज्ञा की गई, तो उसे पुणे के फ्लैट में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी को खोना पड़ सकता है। अदालत उसकी हिस्सेदारी पुरुष को हस्तांतरित करने के लिए आयुक्त नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होगा।

Created On :   18 Sept 2023 8:03 PM IST

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