धारावी पुनर्विकास योजना: प्रत्येक घर के सर्वे में लग रहा 45 मिनट, घर के कागजातों की हो रही स्क्रीनिंग

प्रत्येक घर के सर्वे में लग रहा 45 मिनट, घर के कागजातों की हो रही स्क्रीनिंग
  • प्रोजेक्ट का विरोध खत्म, सपने हकीकत में बदलने का इंतजार
  • ऊपर वाले मकान को धारावी के बाहर दिया जाएगा घर
  • नीचे वाले मकान को मिलेगा धारावी में घर

डिजिटल डेस्क, मुंबई,सुजीत गुप्ता। धारावी पुनर्विकास योजना के अंतर्गत धारावी के झुग्गी बस्तियों में रह रहे लोगों के घरों का सर्वे सोमवार से शुरू हो गया है। सर्वे की प्रक्रिया की शुरुआत साक्षी सावंत के झोपड़े से हुई। इस सर्वे के दौरान घरों के सारे कागजातों की बारीकी से जांच कर उन्हें स्कैन किया जा रहा है। पहले दिन कमला रमण नगर के करीब 50 घरों का सर्वे पूरा हुआ। प्रत्येक घर के सर्वे में करीब 45 से एक घंटे का समय लग रहा है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत परिवार के प्रत्येक सदस्य को 350 वर्ग फुट का घर देने का दावा धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) कर रहा है। दावा किया जा रहा है कि नीचे वाले मकान में रह रहे परिवार को धारावी में घर दिया जाएगा जबकि ऊपर वाले घर में रह रहे परिवार को धारावी से बाहर घर दिया जाएगा हालांकि इसके लिए उन्हें कंस्ट्रक्शन चार्ज के रूप में 2.5 लाख रुपए देने होंगे। इस प्रोजेक्ट को लेकर धारावी के झोपड़ा धारकों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर लोगों का विरोध ख़त्म हो गया है अब सभी लोग घर पाने के सपने को हकीकत में बदलने का इन्तजार कर रहे हैं।

इस प्रोजेक्ट का मकसद धारावी में रह रहे सभी को घर देना है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत जिन लोगों को घर दिया जा रहा है उन्हें तीन कैटेगरी में बांटा जा रहा है। उदाहरण के तौर पर पहली कैटेगरी में जो लोग 1 जनवरी 2000 से रह रहे हैं उन्हें भूमिपुत्र माना जा रहा हैं। उन सभी को धारावी में घर दिया जायेगा। 2 जनवरी 2000 से 1 जनवरी 2011 के बीच नीचे वाले घर के ऊपर मकान बनाया है उन्हें दूसरी कैटेगरी में रखा गया हैं। उन्हें मुंबई में एमएमआरडीए के अंतर्गत 300 वर्ग फुट का घर दिया जाएगा। इस घर के एवज में उन्हें कंस्ट्रक्शन चार्ज देना होगा। यदि दूसरी कैटेगरी के लाभार्थी कंस्ट्रक्शन चार्ज के रूप में पैसे देने की स्थिति में नहीं है तो उसे रेंटल हाउसिंग स्कीम के तहत पैसे हर महीने देने होंगे। कंस्ट्रक्शन चार्ज की रकम पूरी होने पर लाभार्थी के नाम घर कर दिया जाएगा। सरकार मुंबई में जहां पर जमीन देगी वहां पर उन्हें घर बनाकर दूसरी कैटेगरी के लाभार्थी को दिया जायेगा। तीसरी कैटेगरी में तीसरी मंजिल के झोपड़ा धारकों को भी घर देने का दावा किया जा रहा हैं। इस कैटेगरी के लाभार्थी को थोड़ा ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। उन्हें कंस्ट्रक्शन चार्ज के आलावा जमीन का पैसा भी देना होगा।

सर्वे के दौरान सोमवार को सबसे पुराने और नए बिजली बिल, मतदाता पहचान पत्र, मतदाता सूची की प्रति, क्लर्क लाइसेंस और बीएमसी द्वारा जारी होटल लाइसेंस जैसे दस्तावेजों की सत्यापित फोटोकॉपी एकत्र की गई । घर के मूल दस्तावेज स्कैन कर उन्हें लौटा दिए गए। इसके अलावा मकान मालिक की तस्वीरों के साथ-साथ उनके परिवार की तस्वीरें भी एकत्र की गईं।

सर्वे में जुताई गई यह जानकारी

सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में मकान मालिक के घर में कितने परिवार रह रहे हैं ? घर के प्रत्येक सदस्य की शैक्षिक पृष्ठभूमि क्या है? , परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य हैं?, परिवार की कुल आय क्या है?, वे वर्तमान झोपडे में कितने समय से रह रहे हैं?, उनकी मातृभाषा क्या है?, उनका पैतृक गांव क्या है? क्या उनके पास धारावी में या धारावी के बाहर नौकरी है?, क्या वे अपनी नौकरी पर जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं? या निजी वाहन से काम पर जाते है ? आदि प्रश्न पूछे गए ।

राज्य सरकार निर्धारित करेगी पात्रता

सर्वेक्षण प्रक्रिया के माध्यम से एकत्र किया गया डेटा सर्वेक्षण के अंत में राज्य सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके माध्यम से राज्य सरकार झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की पात्रता निर्धारित करेगी।

Created On :   1 April 2024 10:06 PM IST

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