शिक्षा विभाग: हाईकोर्ट की रोक के बाद मुश्किल में आरटीई दाखिले की प्रक्रिया, निजी स्कूल नहीं तैयार

हाईकोर्ट की रोक के बाद मुश्किल में आरटीई दाखिले की प्रक्रिया, निजी स्कूल नहीं तैयार
  • निजी स्कूलों ने दाखिला देने को नहीं तैयार
  • आदेश को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती

डिजिटल डेस्क, मुंबई. शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए अब निजी स्कूल तैयार नहीं है। कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। महाराष्ट्र इंगलिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष संजयराव तायडे पाटील ने कहा कि आरटीई के तहत राज्य सरकार पर बकाया बढ़कर 2400 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। पिछले कई वर्षों से हम विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं लेकिन सरकार उसके पैसे नहीं दे रही है। अदालत में हमें अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं मिला और सरकार द्वारा नियुक्ति वकील मजबूती से उसका पक्ष नहीं रख पाए। इसीलिए हम इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

‘पुरानी प्रक्रिया के आधार पर ही होंगे दाखिले’

मामले में याचिका दाखिल करने वाली अखिल भारतीय समाजवादी अध्यापक सभा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ शरद जावडेकर ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद अब शिक्षा विभाग को आरटीई के दाखिले की प्रक्रिया नए सिरे से शुरु करनी होगी और निजी स्कूलों को भी इसके दायरे में लाना होगा। अगले कुछ दिनों में यह प्रक्रिया शुरू करनी होगी। जिन लोगों को आवेदन किए हैं उन्हें पहले निजी स्कूलों को चुनने का अधिकार नहीं था इसलिए पूरी प्रक्रिया रद्द कर इसे फिर से शुरू करना होगा दूसरा कोई तरीका नहीं है।

शिक्षा विभाग के फैसले पर नजर

कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग को नए सिरे से आदेश जारी करना होगा। फिलहाल आदालत के आदेश के बाद मामले में अधिकारी कुछ बोलने से बच रहे हैं। फिलहाल चुनावी आचार संहिता लगी हुई है जो 20 मई को पांचवें चरण के मतदान के बाद खत्म हो जाएगी। ऐसे में हो सकता है कि बदलाव का आदेश इसके बाद ही जारी हो। हालांकि इसके चलते दाखिले की प्रक्रिया पूरी होने में काफी विलंब हो सकता है।

बदलाव से खत्म हो गया था आरटीई दाखिले का उत्साह

पिछले शैक्षणिक सत्र तक राज्य के निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाता था जिनकी फीस सरकार चुकाती थी लेकिन इस साल सरकार ने नियम बदल दिए जिसके मुताबिक घर के एक किलोमीटर के दायरे में सरकारी स्कूल होगा तो विद्यार्थी को उसी में दाखिला दिया जाएगा। एक तहत से निजी स्कूल आरटीई के दाखिला प्रक्रिया से बाहर हो गए। इससे अभिभावकों में उत्साह खत्म हो गया और दाखिले के लिए उपलब्ध 76053 स्कूलों की 886411 सीटों पर अब तक करीब 70 हजार आवेदन ही किए गए। यानी प्रति स्कूल एक विद्यार्थी का भी आवेदन नहीं है। जबकि निजी स्कूलों की उपलब्ध सीटों से चार गुना से ज्यादा आवेदन आते थे और विजेताओं का चयन लॉटरी के जरिए किया जाता था।

Created On :   7 May 2024 8:15 PM IST

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