मंजूरी: जलाशयों और तलाबों के आसपास की जमीन पर अब केवल चारा उत्पादन करना होगा

जलाशयों और तलाबों के आसपास की जमीन पर अब केवल चारा उत्पादन करना होगा
  • जलाशयों और तलाबों के आसपास की जमीन
  • जमीन पर केवल चारा उत्पादन करना होगा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में सूखे की स्थिति को देखते हुए जलाशयों और तलाबों के आसपास की जमीन का इस्तेमाल अब केवल चारा उत्पादन के लिए करना होगा। राज्य सरकार ने जलसंसाधन और मृदा व जलसंरक्षण विभाग के बड़े, मध्यम और लघु सिंचाई परियोजना के जलाशयों के पास की जमीन पर चारा उत्पादन के लिए मंजूरी दी है। प्रदेश पशुसंवर्धन विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी किया है। किसानों को मक्का और ज्वारा के फसलों का बीज उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्र सरकार, राज्य सरकार की योजनाओं और जिला वार्षिक योजना की निधि से बीज दिया जाएगा। सभी जिलाधिकारियों को भविष्य में सूखे की स्थिति के दौरान चारा का संकट न होने देने की दृष्टि से पानी और चारा उत्पादन के स्त्रोत का मैपिंग करना होगा। साथ ही तकनीकी का इस्तेमाल करके चारा उत्पादन का प्रबंध करना होगा। चारा का अनुमानित मीट्रिक टन आंकड़े को जिला पशुसंवर्धन उपायुक्त के पास भेजना होगा। सरकार ने चारा उत्पादन और उसपर निगरानी के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी। सरकार के अनुसार मुरघास चारा दूसरे चारों की अपेक्षा अधिक पौष्टिक होती है। मुरघास के इस्तेमाल से पशुओं के उत्पादन और प्रजनन क्षमता में वृद्धि पाई गई है। मुरघास को बंद पैकेट में रखने से उसका इस्तेमाल लंबे समय तक किया जा सकता है। इससे पशुओं के दूध उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है। शासनादेश के अनुसार राज्य में 100 प्रतिशत बारिश होने पर भी पशुधन के चारे की कम से कम 44 प्रतिशत कमी रहती है। इस साल बारिश कम होने के कारण सूखे की स्थिति है। इसके मद्देनजर आगामी समय में चार संकट स्थिति पर मात करने के लिए चारे की फसल लगाने का यह उपयुक्त समय है। जलसंसाधन और मृदा व जलसंरक्षण विभाग के जलाशयों का जलसंचय वाष्पीकरण के कारण कम हो गया है। इससे जलाशयों और तालाबों की आसपास की जमीन पर चारे की फसलों की बुवाई करना संभव है।



Created On :   22 Sept 2023 8:33 PM IST

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