बॉम्बे हाईकोर्ट: मुठा नदी के तट के हरित पट्टी क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण करने वालों को राहत नहीं

मुठा नदी के तट के हरित पट्टी क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण करने वालों को राहत नहीं
  • अदालत ने पीएमसी के व्यावसायिकों द्वारा नदी के तट पर अवैध विवाह हॉल, गोदाम, रेस्तरां और गैरेज को तोड़ने की नोटिस पर रोक लगाने से किया इनकार
  • जुर्माना की राशि पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) को देने का निर्देश
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोल्हापुर में अपनी मां की हत्या करने के दोषी व्यक्ति की मांगी नई मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट से पुणे के मुठा नदी के तट पर हरित पट्टी क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण करने वालों को राहत नहीं मिली। अदालत ने 18 व्यवसायिकों की याचिका को खारिज करते हुए उन पर अवैध निर्माण करने के लिए 25-25 हजार रुपए प्रत्येक को जुर्माना लगाया है। उन्हें जुर्माने की राशि पुणे महानगरपालिका(पीएमसी)को देने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ताओं ने पीएमसी के मुठा नदी के तट के हरित पट्टी क्षेत्र पर विवाह हॉल, गोदाम, रेस्तरां और गैरेज समेत व्यवसायिक निर्माण के खिलाफ नोटिस जारी कर तोड़क कार्रवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति एम.एस.सनक और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने पुणे के व्यवसायियों की ओर से वकील अजिंक्य उदाने की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी संपत्ति पर निर्माण किया है, न कि सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण निर्माण किया है। उन्हें एमआरटीपी अधिनियम की धारा 52 और 53 में संवैधानिक प्रावधान नियमितीकरण के लिए अनुरोध करने की अनुमति देते हैं। पीएमसी के वकील आर.एम.पेठे ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पुणे में मुठा नदी के तट पर हरित पट्टी क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण किया। इस क्षेत्र में घर बनाए जा सकते हैं, लेकिन यहां व्यवसायिक निर्माण करना अवैध है। याचिकाकर्ताओं ने विवाह हॉल, विवाह स्थल, गोदाम, रेस्तरां, गैरेज जैसे व्यावसायिक निर्माण किए हैं। पीएमसी ने उन्हें नोटिस जारी कर उनके अवैध व्यवसायिक निर्माण को तोड़ दिया था, लेकिन उन्होंने उसे दोबारा बना लिया। इसको लिए उन्होंने कोई अनुमति नहीं ली। पीएमसी ने याचिकाकर्ताओं द्वारा बनाए गए इन सभी अवैध ढांचों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया है। इससे पहले याचिकाकर्ताओं को कारण बताने का अवसर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं ने पीएमसी की नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दिया। पीठ ने माना कि याचिकाकर्ताओं ने कानूनी प्रावधानों और कार्य रोकने के नोटिस की अवहेलना करते हुए बनाए गए अवैध निर्माणों के नियमितीकरण को अनुमति नहीं दी जा सकती है। याचिकाकर्ताओं ने बिना किसी अधिकारी से अनुमति लिए और अदालत से अंतरिम राहत प्राप्त करने का दावा करते हुए अवैध विवाह हॉल का पुनर्निर्माण किया, जबकि वास्तव में ऐसी कोई अंतरिम राहत कभी प्रदान नहीं की गई थी।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोल्हापुर में अपनी मां की हत्या करने के दोषी व्यक्ति की मांगी नई मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2017 में कोल्हापुर में अपनी मां की हत्या करने के दोषी व्यक्ति के बारे में एक नई मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट और प्रोबेशन वेलफेयर ऑफिसर की रिपोर्ट मांगी है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की पीठ के समक्ष दोषी सुनील रामा की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने 2021 में कोल्हापुर की एक अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की है। याचिकाकर्ता ने 28 अगस्त 2017 को कोल्हापुर में अपनी 63 वर्षीय मां की हत्या कर दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील युग मोहित चौधरी और पायोशी रॉय ने बताया कि राज्य को समयबद्ध तरीके से आरोपी से संबंधित जानकारी एकत्र करनी चाहिए, जिसमें पालन-पोषण, पारिवारिक पृष्ठभूमि, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक, आपराधिक पृष्ठभूमि समेत मनोवैज्ञानिक बीमारियां शामिल हैं। याचिकाकर्ता को अपने बचाव में सबूत पेश करने का अवसर दिया जाना चाहिए। पीठ ने याचिकाकर्ता के आचरण और व्यवहार के बारे में जेल अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। इससे पता चलेगा कि क्या कोई सुधारात्मक प्रगति हुई है और दोषसिद्धि के बाद किसी मानसिक बीमारी का पता चलेगा। 10 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है।

Created On :   27 Jun 2024 4:13 PM GMT

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