Mumbai News: नाइट जूनियर कॉलेजों में अंशकालिक शिक्षक एमईपीएस नियमों के तहत पेंशन लाभ के हकदार नहीं

नाइट जूनियर कॉलेजों में अंशकालिक शिक्षक एमईपीएस नियमों के तहत पेंशन लाभ के हकदार नहीं
  • बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला
  • अदालत ने अंशकालिक शिक्षक की याचिका की खारिज
  • अदालत ने अपने 2006 के निर्णय की पुष्टि की

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि नाइट जूनियर कॉलेजों में अंशकालिक शिक्षक एमईपीएस नियमों के तहत पेंशन लाभ के हकदार नहीं हैं। अदालत ने एक अंशकालिक शिक्षक की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही। अदालत ने अपने 2006 के उस निर्णय की पुष्टि की, जिसमें कहा गया था कि रात्रि विद्यालय के शिक्षकों को पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं माना जा सकता, क्योंकि उस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी गई थी

न्यायमूर्ति रवींद्र वी.घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन डी.भोबे की पीठ ने पेंशन की मांग करने वाले एक सेवानिवृत्त नाइट स्कूल शिक्षक की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1982 और महाराष्ट्र निजी विद्यालयों के कर्मचारी (सेवा की शर्तें) विनियमन अधिनियम 1977 (एमईपीएस) के अनुसार नाइट जूनियर कॉलेज में अंशकालिक सेवा पेंशन के लिए योग्य नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि माध्यमिक विद्यालय संहिता के तहत रात्रि विद्यालय प्रतिदिन केवल 2.5 से 3 घंटे ही संचालित होते हैं और उनके शिक्षकों को भी अंशकालिक कर्मचारी के रूप में नामित किया जाता है।

दीक्षित के वकील ने दलील दी कि स्थायी पद पर उनकी लंबी सेवा उन्हें एमईपीएस अधिनियम के तहत पेंशन के लिए योग्य बनाती है। उन्होंने अनघा भोंबे बनाम महाराष्ट्र राज्य और ज्योति प्रकाश चौगुले बनाम महाराष्ट्र राज्य जैसे निर्णयों का हवाला दिया, जहां अंशकालिक सेवा को पेंशन गणना में शामिल किया गया था। 2017 के सरकारी संकल्प ने उनके मामले का समर्थन किया।

सरकारी वकील पी.पी. काकड़े कहा कि रात्रि विद्यालय के शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालय संहिता के नियम 54.3 और नियम 67(1)(ए)(4) के तहत अंशकालिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एमईपीएस नियमों के नियम 19 में पेंशन पात्रता के लिए पूर्णकालिक सेवा अनिवार्य है और पेंशन नियमों के नियम 57 में अंशकालिक कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है।

क्या है पूरा मामला

रजनी राजन दीक्षित को 1984 में सोलापुर के छत्रपति शिवाजी नाइट जूनियर कॉलेज में अंशकालिक शिक्षिका के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति शुरू में अस्थायी थी। उन्होंने 2014 में अपनी सेवानिवृत्ति तक 29 वर्षों तक अध्यापन जारी रखा। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपील और याचिकाओं के माध्यम से कई समाप्ति आदेशों और सेवा शर्तों को चुनौती दी। 1993 में स्कूल ट्रिब्यूनल ने उन्हें पूर्वव्यापी रूप से पूर्णकालिक शिक्षिका घोषित किया, लेकिन 2006 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे पलट दिया।

अदालत ने फैसला सुनाया था कि रात्रि विद्यालय के शिक्षक, जो प्रतिदिन केवल ढाई से तीन घंटे काम करते हैं, उन्हें एमईपीएस नियमों के तहत पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं माना जा सकता है। 2006 के निर्णय के बावजूद दीक्षित ने बार-बार पेंशन लाभ की मांग की और यह दलील दी कि उनकी 29 वर्ष की अंशकालिक सेवा को आनुपातिक रूप से साढ़े चौदह वर्ष की पूर्णकालिक सेवा के रूप में गिना जाना चाहिए।

Created On :   27 March 2025 7:39 PM IST

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