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Mumbai News: पुणे ब्लास्ट केस में मेमन को जमानत, विशेष समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ याचिका, दरगाह अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं होने से फटकार
- बीजेपी विधायक नितेश राणे पर विशेष समुदाय के लोगों के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और मीरा-भायंदर महानगरपालिका को दरगाह के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर लगाई फटकार
Mumbai News : सोशल मीडिया पर एक विशेष समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। याचिका में बीजेपी नितेश राणे के विशेष समुदाय के लोगों के खिलाफ टिप्पणी समेत सोशल मीडिया से विवादित कंटेंट हटाने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण के समक्ष बांद्रा निवासी मोहम्मद वासी सैयद की वकील सैयद एजाज की दायर याचिका में इस सप्ताह हो सकती है। याचिका में दावा किया गया है कि राज्य में एक विशेष समुदाय के लोगों के खिलाफ नफरत काफी वृद्धि हुई है। सरकार समर्थक सोशल मीडिया हैंडल से आपत्ति जनक सामग्री सोशल मीडिया वायरल हैं। पुलिस बीजेपी विधायक नितेश राणे की आए दिन विशेष समुदाय के खिलाफ की गई टिप्पणी को सोशल मीडिया से हटाने में असफल रही है। इससे पहले नफरत फैलाने के ऐसे ही पैटर्न 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम(सीएए) के लागू के दौरान देखे गए थे। याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पुलिस महानिदेशक, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बीजेपी विधायक नितेश राणे, स्वामी रामगिरी महाराज और बीजेपी नेता नूपुर शर्मा पार्टी बनाया गया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और मीरा-भायंदर महानगरपालिका को दरगाह के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर लगाई फटकार
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने भायंदर के उत्तन में हजरत सैयद बालेशाह पीर दरगाह के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर राज्य सरकार और मीरा-भायंदर महानगरपालिका फटकार लगाई। अदालत ने पूछा कि जब दरगाह में अवैध निर्माण हो रहा था, तब कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह संभव नहीं है कि दरगाह के अवैध निर्माण की महानगरपालिका को कोई जानकारी नहीं थी। अदालत ने मीरा-भायंदर महानगरपालिका को हलफनामा दाखिल करने का जवाब देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ के समक्ष खुश ईश्वर खंडेलवाल की ओर से वकील अमृत जोशी उर्फ प्रतीक कोठारी की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि दरगाह ट्रस्ट द्वारा 1200 स्क्वायर मीटर सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण किया गया है। इसको लेकर दरगाह को नोटिस जारी की गयी थी। मीरा भायंदर के अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा इसको लेकर बनाई गई कमेटी ने 5 दिसंबर 2020 को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप थी, जिसमें दरगाह के सरकारी जमीन पर अवैध रूप से निर्माण करने की बात कही गई थी। तहसील के सर्कल ऑफिसर प्रशांत कपाडे ने मैंग्रोज काट कर अवैध दरगाह बनाने के खिलाफ उत्तन कोस्टल पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई थी। उसके बाद इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।पीठ ने कहा कि मीरा भायंदर महानगरपालिका दरगाह के अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार है। महानगरपालिक अवैध निर्माण के विरुद्ध शुरू में कार्रवाई क्यों नहीं करती है? यह संभव नहीं है की दरगाह के अवैध निर्माण की मनपा को कोई जानकारी नहीं थी। पीठ ने मिरा-भायंदर महानगरपालिका को दो सप्ताह और दरगाह ट्रस्ट को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। भायंदर (प.) के उत्तन स्थित डोंगरी में सरकारी जमीन पर मैंग्रोव काट कर बिना किसी इजाजत के हजरत सैयद बालेशाह पीर के नाम से दरगाह का निर्माण किया गया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट से आरोपी मुनीब इकबाल मेमन को मिली जमानत
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट से 2012 के पुणे सीरियल बम ब्लास्ट मामले के आरोपी मुनीब इकबाल मेमन को जमानत मिली। वह 12 साल से जेल में बंद था। मेमन को 1 लाख रुपए का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की भरने पर जमानत मिलेगी। इससे पहले सितंबर 2022 में अदालत ने मेमन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह मानने के लिए उचित आधार की कमी थी कि वह आरोपों का दोषी नहीं है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की पीठ ने मुबीन मेमन मेमन की ओर से वकील मुबीन सोलकर की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील मुबीन सोलकर ने दलील दी कि उनका मुवक्किल को 12 साल से अधिक समय तक बिना किसी मुकदमे के हिरासत में रखा गया था, जो उनके त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है। उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। याचिका में एक विशेष अदालत के फरवरी 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। इससे पहले हाई कोर्ट ने सितंबर 2022 में मेमन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि अदालत ने ट्रायल कोर्ट का ट्रायल प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया था। पुणे में 1 अगस्त 2012 को पुणे के जंगली महाराज रोड पर हुए बम ब्लास्ट में एक व्यक्ति घायल हुआ था। घटना स्थल पर बिना फटे मिले बम को भी निष्क्रिय कर दिया गया था। महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने घटना में कथित संलिप्तता के लिए मेमन के साथ 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और शस्त्र अधिनियम समेत विभिन्न कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
Created On :   22 Sept 2024 9:02 PM IST