Mumbai News: लगातार खराब हो रही मुंबई में हवा की गुणवत्ता, पांच साल में पीएम 2.5 का स्तर ढाई गुना बढ़ा

लगातार खराब हो रही मुंबई में हवा की गुणवत्ता, पांच साल में पीएम 2.5 का स्तर ढाई गुना बढ़ा
  • 2024 के दौरान हवा में प्रदूषण स्तर 36.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा
  • रेस्पिरेर लिविंग साइंसेज ने वायु प्रदूषण पर जारी की रिपोर्ट
  • 20 से 30% कम करने का लक्ष्य

Mumbai News : पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने की कवायद के बीच मुंबई महानगरीय क्षेत्र के लिए चिंता बढ़ानेवाली खबर है। तमाम उपायों के बावजूद मुंबई में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हुई है। बीते पांच साल के दौरान हवा में प्रदूषक कण पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम) का स्तर 2.6 गुना बढ़ा है। पर्यावरण के हित में काम करनेवाली संस्था रेस्पिरर लिविंग साइंसेज की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक गत वर्ष मुंबई में वायु प्रदूषण का स्तर 36.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो 2019 के 35.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 2.6 प्रतिशत अधिक है। राहत यह कि मुंबई के वायुमंडल में प्रदूषण स्तर दिल्ली जैसे शहरों (107 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में वायु प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

20 से 30% कम करने का लक्ष्य

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत हवा में पीएम-2.5 और पीएम-10 का प्रदूषण स्तर 2026 तक 40 फीसदी कम करने का लक्ष्य है। रेस्पिरेर के संस्थापक रोनक सुतारिया ने कहा कि मुंबई में प्रदूषण बढ़ना शहरी विस्तार, यातायात घनत्व और औद्योगिक उत्सर्जन की चुनौतियों को दर्शाता है। इन मुद्दों को अभी सुलझाना बेहद जरूरी है ताकि प्रदूषण का स्तर और अधिक न बढ़े।

इन क्षेत्रीय हॉटस्पॉट में प्रदूषण बढ़ने की वजह

-पश्चिमी उपनगर में निर्माण गतिविधियों और यातायात जाम ने विशेष रूप से व्यस्ततम समय के दौरान प्रदूषण स्तर को बढ़ाया है।

-पूर्वी उपनगर में औद्योगिक क्षेत्रों की निकटता और कचरा जलाने की घटना ने औसत प्रदूषण स्तर को बढ़ाया है।

-नवी मुंबई और पोर्ट क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां, बंदरगाह संचालन और भारी यातायात के चलते पीएम-2.5 का स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक है।

हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सिफारिशें

-इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाएं और सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करें।

-उद्योगों के लिए सख्त उत्सर्जन मानकों को लागू करें और औद्योगिक हॉटस्पॉट्स की निगरानी को बढ़ाएं।

-कचरा प्रबंधन बेहतर करें और खुले में कचरा जलाने पर प्रतिबंध लगाए।

-शहरी हरित स्थानों और तटीय मैंग्रोव को प्रोत्साहन दें

Created On :   7 Jan 2025 10:26 PM IST

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