बॉम्बे हाईकोर्ट: आरटीई प्रवेश के लिए 7 जून के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने के लिए दरवाजा खटखटाया

आरटीई प्रवेश के लिए 7 जून के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने के लिए दरवाजा खटखटाया
  • याचिका में आरटीई प्रवेश के लिए छूट देने के महाराष्ट्र के फैसले के खिलाफ सुनवाई का अनुरोध
  • निजी स्कूल एसोसिएशन ने लगाई है याचिका

डिजिटल डेस्क, मुंबई. श्री चाणक्य एड्युकेशन सोसायटी समेत निजी स्कूल एसोसिएशन ने आरटीई प्रवेश के लिए 7 जून के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में दावा किया गया है कि पिछले दिनों हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों में आरटीई प्रवेश के लिए छूट देने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दिया था, जिसमें सरकार ने निजी स्कूलों को 25 फीसदी आरटीई प्रवेश से छूट दी गई थी। निजी स्कूलों द्वारा अदालत ने इस मामले में उनकी भी सुनने अनुरोध किया गया है। 12 जून को मामले में अगली सुनवाई होगी।

न्यायमूर्ति एन.आर.बोरकर और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को श्री चाणक्य एज्युकेशन सोसायटी और निजी स्कूल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील ने खंडपीठ से आरटीई प्रवेश के लिए 7 जून के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने का अनुरोध किया। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि आरटीई प्रवेश के लिए 7 जून को ऑनलाइन केवल रजिस्ट्रेशन होगा। जिन निजी स्कूलों ने याचिका दायर किया है, उन्हें 25 फीसदी आरटीई के तहत एडमिशन के लिए बच्चों को भेजा नहीं जाएगा। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि उन्होंने अपने स्कूलों में एडमिशन की सीटें मार्च और अप्रैल में भर लिया था।

ऐसे में 25 फीसदी आरटीई के तहत आने वाले बच्चों का एडमिशन करना उनके लिए संभव नहीं है। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधन के सदस्य और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के माता-पिता समेत 17 लोगों की दायर याचिका सरकार द्वारा 9 फरवरी को जारी अधिसूचना रोक लगा दिया था, जिसमें सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों के 1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले निजी स्कूलों को आरटीई अधिनियम कोटा में गरीब छात्रों के प्रवेश से छूट दी गई थी। खंडपीठ ने इसे बच्चों के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन माना था।

आरटीई अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होता है कि कक्षा 1 में प्रवेश पाने वाले 25 प्रतिशत छात्र उसके आस-पास के कमजोर वर्ग और वंचित समूह से हों। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गायत्री सिंह ने सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। पिछले साल जहां करीब 500000 छात्रों ने आरटीई के जरिए आवेदन किया था, वहीं इस साल अब तक 50,000 से भी कम छात्रों ने आवेदन किया है।

Created On :   5 Jun 2024 9:45 PM IST

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