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सख्ती: सरकारी अधिकारियों को कामकाज के लिए संदेश एप इस्तेमाल करना अनिवार्य, दूध में मिलावट रोकने बनेगा सख्त कानून
- शासन के कर्मियों को बाकी मैसेजिंग एप के उपयोग पर होगी मनाही
- दूध में मिलावट रोकने राज्य सरकार बनाएगी सख्त कानून: सीएम शिंदे
- आरोपियों के खिलाफ दर्ज होगा गैर जमानती धाराओं में मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी कामकाज के लिए अब इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ‘संदेश' एप का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है। इससे सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को शासन के कामकाज के लिए वाट्सएप समेत दूसरे सोशल नेटवर्किंग और मैसेजिंग एप का उपयोग नहीं कर पाएंगे। यानी अब सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को कामकाज से जुड़े मैसेज, फाइल और वीडियो को साझा करने के लिए केवल संदेश एप का उपयोग करना पड़ेगा। सरकार ने सरकारी डेटा की गोपनीयता बनाए रखने की दृष्टि से बेहद अहम कदम उठाया है। शुक्रवार को प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बारे में परिपत्र जारी किया है। इससे मुताबिक संदेश एप में अनौपचारिक और अधिकृत समूह (ग्रुप) तैयार करने की सुविधा है। एसएमएस के बजाय ओटीपी, अलर्ट, सूचना व प्रसारण करने वाले मैजेस को बिना शुल्क सुरक्षित किया जा सकेगा। इसमें सरकारी इमोजी और टैग डिजाइन किया गया है। इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म संदेश को कम्प्यूटर और लैपटॉप पर भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। ई-गवर्नेंस एप्लिकेशन के जरिए ही मैसेज भेजा जा सकेगा। सरकार के मुताबिक राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने संदेश एप को विकसित किया है। संदेश एप केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत आत्मनिर्भर भारत का एक उपक्रम है। संदेश एप सरकार से सरकार और सरकार से नागरिक तक संप्रेषण और संदेश सुलभ करने के लिए मुफ्त स्त्रोत आधारित सुरक्षित और स्वदेशी इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म देने वाली प्रणाली है। डेटा गोपनीयता और सुरक्षा प्रमथ के सिद्धांत पर संदेश एप बनया गया है। संदेश एप का दुरुपयोग होने की स्थिति में उसका उद्गम खोजने की क्षमता है। इसलिए सरकारी कामकाज के लिए दूसरे किसी एप के बजाय संदेश एप का इस्तेमाल करना अनिवार्य किया गया है। सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को संदेश एप प्ले स्टोर अथवा वेबसाइट https://www.sandes.gov.in/ पर डाउनलोड करना होगा।
दूध में मिलावट रोकने राज्य सरकार बनाएगी सख्त कानून: सीएम शिंदे
राज्य सरकार दूध में मिलावट करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने जा रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया है कि राज्य सरकार बहुत जल्द दूध एवं दूध के उत्पादों में मिलावट रोकने के लिए एक स्वतंत्र कानून लेकर आ रही है। शिंदे ने कहा कि दूध और खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में मामला दर्ज हो इसकी सिफारिश भी केंद्र सरकार से की जाएगी। मुख्यमंत्री शिंदे ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) और डेयरी विकास विभाग को दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। शिंदे ने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट गंभीर मामला है। राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है। हाल ही में विधानमंडल के मानसून सत्र में भी दूध में मिलावट का मामला सदन में गूंजा था। जिसके बाद सरकार ने कड़ा कानून लाने का फैसला किया है। शिंदे ने कहा कि दूध में मिलावट करने वालों पर महाराष्ट्र प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस एक्टिविटीज एक्ट (एमपीडीए) से भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी इस मामले में प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में दूध की जांच करने वाली लैब में उपकरणों की कमी को जल्द पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही कर्मचारियों की भी पर्याप्त संख्या में नियुक्ति की जाएगी। दूध में मिलावट का असर दूध के उत्पादक किसानों पर पड़ता है। इससे राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी दुष्परिणाम हो रहा है। शिंदे ने कहा कि एफडीए की छापेमारी में जब्त किए गए मिलावटी दूध में ऐसे तत्व मिले हैं जिनसे कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि दूध में मिलावट की रोकथाम के लिए गृह विभाग की भी मदद ली जाएगी।
Created On :   26 July 2024 9:47 PM IST