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बॉम्बे हाईकोर्ट: विधवा के पति के नाम पर आवंटित सरकारी आवास पर अवैध कब्जा, प्रधान सचिव से मांगा जवाब
- अदालत ने जांच कर हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश
- 25 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने विधवा के पति के नाम पर आवंटित सरकारी आवास पर सालों से अवैध कब्जा को लेकर राज्य सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग के प्रमुख सचिव से जवाब मांगा है। अदालत ने प्रमुख सचिव को मामले के तथ्यों की जांच करने का निर्देश भी दिया है। 9 जनवरी 2008 के बाद व्यक्ति ने अवैध रूप से सरकारी कर्मचारी द्वारा भुगतान किए जाने वाले सामान्य किराए के अनुसार परिसर का आनंद लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। किराए की गणना सरकार की नीति के अनुसार और निर्दिष्ट दरों पर की जानी है। ऐसी राशि की गणना म्हाडा के संबंधित अधिकारियों द्वारा भी की जानी आवश्यक है।
न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेसन की पीठ के समक्ष पार्वती बाई शंकर कांबले की ओर से वकील अमोघ सिंह और वकील संतोष पाठक की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि आवास नियंत्रक के संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से बेदखली के आदेश केवल कागजी आदेश बनकर रह गए थे। यह संभावना है कि ऐसे कई मामले हो सकते हैं, क्योंकि केवल याचिकाकर्ता (मृत व्यक्ति की विधवा) ने प्रतिवादी को बेदखल करने की मांग करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हम प्रतिवादी से सरकारी संपत्ति को हड़पने से रोकने के लिए आदेश पारित कर सकते हैं।
पीठ ने कहा कि हमें यह भी आश्चर्य है कि जिस व्यक्ति ने मूल आवंटित व्यक्ति के हस्ताक्षर जाली किए हैं, उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही क्यों नहीं की गई? वास्तव में यह ऐसी बात है, जो न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर देगी। इस संबंध में प्रधान सचिव को भी अपना दिमाग लगाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में आवास नियंत्रण विभाग में उनके अधीनस्थ अधिकारी स्पष्ट रूप से अपने सार्वजनिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं।
याचिकाकर्ता के वकील अमोघ सिंह ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पति शंकर कांबले को 11 जून 1970 को सरकारी आवास आवंटित किया गया था। वह (याचिकाकर्ता के पति) 22 मई 1986 में गायब हो गए। आज तक सरकारी कर्मचारी शंकर कांबले का कहीं पता नहीं चल सका। इसका फायदा उठा कर उनके (शंकर) के नाम से आवंटित सरकारी आवास पर श्रवण राउजी कांबले और उसके परिवार ने फर्जी कागजात बना कर अवैध रूप से रहने लगे।
संबंधी विभाग ने 2006 में श्रवण कांबले और उसके परिवार को सरकारी घर खाली करने के लिए नोटिस जारी किया। उसने नोटिस को हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर घर खाली करने का निर्देश दिया, लेकिन उसके बाद से उसने सरकारी अधिकारियों की मिली घर खाली नहीं किया। सरकारी कर्मचारी शंकर की पत्नी ने अब हाई कोर्ट में याचिका दायर कर श्रवण कांबले और उसके परिवार से खाली कराने के अनुरोध किया है।
Created On :   16 July 2024 5:08 PM IST