बॉम्बे हाईकोर्ट: अदालतें एनआईए अधिनियम के तहत अपील दायर करने में 90 दिनों से अधिक की देरी को कर सकती हैं माफ

अदालतें एनआईए अधिनियम के तहत अपील दायर करने में 90 दिनों से अधिक की देरी को कर सकती हैं माफ
  • पर्याप्त कारण हो
  • एनआईए के आरोपी फैजान मिर्जा की याचिका
  • याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह बात कही

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक फैसले में कहा कि यदि देरी के लिए पर्याप्त कारण दिखाया गया है, तो अपीलीय अदालतों के पास देरी को माफ करने और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधिनियम के तहत 90 दिनों की अवधि से अधिक दायर अपीलों पर विचार करने की शक्ति है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को फैजान मिर्जा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि यदि आरोपी द्वारा पर्याप्त कारण दिखाए जाने के बावजूद प्रावधान को अनिवार्य रखा जाता है, तो न्याय के दरवाजे बंद हो जाएंगे और न्याय का उपहास होगा। जिसकी कानून की अदालतों द्वारा अनुमति नहीं दी जा सकती है।

खंडपीठ ने यह भी कहा कि यदि देर से अपील की अनुमति नहीं दी गई, तो आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यदि सीमा पर केवल एनआईए अधिनियम की धारा 21 (5) के तहत निर्धारित वैधानिक रोक को ध्यान में रखते हुए अपील नहीं सुनी जाती है, तो आरोपी का वैधानिक अपील दायर करने का मौलिक अधिकार और न्याय तक पहुंचने का अधिकार भी गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगा। यह सब आरोपी के पास देर से अपील दायर करने के पर्याप्त कारण होने के बावजूद हुआ।

एनआईए अधिनियम की धारा 21 विशेष एनआईए अदालत के आदेशों के खिलाफ अपील से संबंधित है, जो हाईकोर्ट के समक्ष दायर की जा सकती है। जबकि इसकी उप-धारा (5) में कहा गया है कि चुनौती के तहत आदेश की तारीख से 90 दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद किसी भी अपील पर विचार नहीं किया जाएगा।

अदालत के समक्ष यह सवाल तब उठा, जब आरोपी फैजान मिर्जा ने 838 दिनों की अवधि के बाद उसे जमानत देने से इनकार करने वाले विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी। उसे महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के साथ मिलकर मुंबई, गुजरात और उत्तर प्रदेश में हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मुद्दे को निर्णायक रूप से तय करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा और वकील शरण जगतियानी को न्यायालय की सहायता के लिए एमीसी क्यूरी के रूप में नियुक्त किया गया था। मिर्जा की अपील में अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने अपील दायर करने में देरी को माफ करने के लिए पर्याप्त कारण दिखाया था

Created On :   14 Sept 2023 7:42 PM IST

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