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लोकसभा चुनाव: आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी नहीं कर रहे है आयोग की गाइडलाइन का पालन
- आपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित करना अनिवार्य
- चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी अनिवार्य रूप से पालन नहीं कर रहे हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, सुनील निमसरकर, चुनाव आयोग ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के दौरान अपना आपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित करना भले ही अनिवार्य किया हो, लेकिन चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी इसका अनिवार्य रूप से पालन नहीं कर रहे हैं। हालांकि, देश के निर्वाचन आयोग के पास इस संबंध में अब तक कोई जानकारी पहुंची नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र के जिला निर्वाचन अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर यह साफ है कि ऐसे कुछ प्रत्याशी अपना आपराधिक इतिहास छुपा रहे है। चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक लोकसभा चुनाव में नामांकन करने वाले सभी प्रत्याशियों को अपना आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करना है। इसके तहत उनके ऊपर अगर कोई मामला दर्ज है तो समाचार पत्र व टेलीविजन पर प्रसारित करना है। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के 4 चरण संपन्न हो चुके है और 20 मई को पांचवें चरण के लिए वोट डाले जाने है। राज्य में प्रत्याशियों द्वारा गाइडलाइन का पालन किया गया है या नहीं, इस संबंध में निर्वाचन आयोग से जानकारी मांगी गई, लेकिन आयोग के अधिकारी से जवाब मिला कि उनके पास यह जानकारी चुनाव के बाद आएगी। इसके बाद राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय में संपर्क करने पर वहां के अधिकारी से भी यही जवाब मिला। उनके मुताबिक यह जानकारी निर्वाचन अधिकारी (आरओ) के पास होती है।
महाराष्ट्र की 48 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से 260 से भी अधिक उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज है। एडीआर के आंकडों से पता चलता है कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में कम से कम 3 और अधिक से अधिक 12 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज है। इन प्रत्याशियों की स्थिति जानने के लिए जिला निवार्चन अधिकारी से संपर्क करने पर जो जानकारी मिली उससे पता चलता है कि प्रत्याशी चुनाव आयोग के निर्देश का कोरम पूरा करने के लिए छोटे व कम प्रसार वाले अखबारों में अपना आपराधिक इतिहास प्रकाशित करा रहे हैं और कुछ इसका पालन करते हुए नहीं दिख रहे है। बीड जिला निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक यहां आठ उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज है। इनमें से दो ने एक ही बार अपना आपराधिक इतिहास छपवाया है। अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में कमोबेश ऐसी ही स्थिति दिखाई दे रही है।
क्या कहती है आयोग की गाइडलाइन
प्रत्याशियों को अपना आपराधिक इतिहास तीन बार प्रकाशित करना है। पहली बार उन्हें नाम वापसी के अंतिम तारीख से पहले चार दिनों के भीतर अपना आपराधिक इतिहास का प्रकाशन कराना है। दूसरी बार इसका प्रकाशन नाम वापसी के अंतिम तारीख के पांचवें से आठवें दिन के अंदर कराना है। तीसरी और अंतिम बार इसका प्रकाशन नाम वापसी के नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के बीच कराना है। निर्वाचन आयोग के द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी है कि हर हाल में प्रत्याशियों को तीन बार अपना आपराधिक इतिहास प्रकाशित करवाना है। गाइडलाइन का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा कि अगर प्रत्याशियों द्वारा आपराधिक इतिहास छिपाया या छुपाने की कोशिश की जाती है तो आयोग नियम के मुताबिक कार्रवाई करती है।
Created On :   16 May 2024 4:16 PM GMT