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बॉम्बे हाईकोर्ट: वकील नीलिमा चव्हाण की अग्रिम जमानत याचिका की खारिज
- चव्हाण पर पूर्व नगरसेवक सुधीर मोरे को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज
- अग्रिम जमानत याचिका की खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने वकील और महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य नीलिमा चव्हाण की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। उन पर शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व नगरसेवक सुधीर मोरे को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था।
न्यायमूर्ति एन जे जमादार की एकल पीठ ने बुधवार नीलिमा चव्हाण की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत मोरे और चव्हाण की चैट और फोन रिकॉर्डिंग पर गौर किया। प्राप्त सामग्री कुछ ऐसा है, जिसकी जांच करने की जरूरत है। पीठ ने नीलिमा चव्हाण की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. सेशन कोर्ट ने 16 सितंबर को 53 वर्षीय चव्हाण अग्रिम जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि प्रथम दृष्टया वकील के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
62 वर्षीय सुधीर मोरे ने 1 सितंबर को घाटकोपर रेलवे स्टेशन के पास लोकल ट्रेन के आगे छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली थी। उनके बेटे द्वारा दायर शिकायत के आधार पर कुर्ला रेलवे पुलिस स्टेशन में आरोपी वकील नीलिमा चव्हाण के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने दावा किया है कि आत्महत्या के दिन मोरे और आरोपी ने एक-दूसरे को 56 फोन कॉल और व्हाट्सएप और वीडियो कॉल किए थे।
फोन कॉल रिकॉर्डिंग के अनुसार चव्हाण यह दावा करते हुए मोरे को परेशान और ब्लैकमेल कर रही थी कि अगर उसने उससे बात नहीं की, तो वह आत्महत्या कर लेगी। कॉल से पता चला कि पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच बहस चल रही थी और आत्महत्या से मरने से पहले मोरे ने आरोपी चव्हाण से दो घंटे तक बात की थी। अभियोजन पक्ष ने दलील दी है कि चव्हाण बीएमसी चुनाव लड़ने में रुचि रखती थी और मोरे से टिकट की मांग कर रही थी, जिससे दोनों के बीच विवाद हुआ।
Created On :   20 Sept 2023 8:16 PM IST