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रोजाना 16 हजार मुंबईकरों का पेट भरती है अक्षय चैतन्य की रसोई
- मरीजों के रिश्तेदारों से लेकर विद्यार्थी भी शामिल
- विद्यार्थियों को भी दिया जाता है खाना
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र। महानगर के भायखला में स्थित अक्षय चैतन्य संस्था रोजाना मुंबई के करीब 16 हजार जरूरतमंदों का पेट भरती है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों के रिश्तेदारों और महानगरपालिका स्कूलों की नौवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए यह सहारा बन गई है। हरे कृष्ण मूवमेंट के मार्गदर्शन में चल रही इस संस्था ने जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग और मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से समझौता भी किया है। अक्षय चैतन्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विकास पारचंदा ने बताया कि संस्था 22 अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों को मुफ्त भोजन पहुंचाती है। इनमें बीएमसी संचालित केईएम, नायर, कूपर, बालासाहेब ट्रॉमाकेयर जैसे अस्पताल शामिल हैं। इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों के करीब 7,500 रिश्तेदारों को खाना पहुंचाया जाता है। पारचंदा ने कहा कि मनपा के अस्पतालों में ज्यादातर गरीब ही भर्ती होते हैं। देखभाल करने वाले उनके रिश्तेदार कई बार दवाइयों के लिए रुपए बचाने की कोशिश में ठीक से खाना भी नहीं खाते। इसी परेशानी को समझते हुए हम लोगों को भरपेट भोजन मुहैया कराते हैं, ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे और वे उचित तरीके से मरीजों की देखभाल कर पाएं।
विद्यार्थियों को भी दिया जाता है खाना
बीएमसी स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को भोजन दिया जाता है। लेकिन नौवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को खाना नहीं मिलता। पारचंदा ने बताया कि बीएमसी के 104 स्कूलों में नौवीं-10वीं कक्षा के करीब 8 हजार विद्यार्थियों को संस्था रोजाना नाश्ता और दोपहर का खाना देती है।
झुग्गी बस्तियों के बच्चों की पढ़ाई
यह संस्था जोगेश्वरी, गोरेगांव, पायधुनी और वाड़ीबंदर, बोरीवली की झुग्गी बस्तियों में गरीब परिवारों के बच्चों को खाना खिलाने के लिए उन्हें चलते-फिरते स्कूल में रोजाना दो घंटे पढ़ाती भी है। एक हजार से ज्यादा झुग्गी बस्ती वाले बच्चों को रोजाना खाना खिलाया जाता है।
डेढ़ घंटे में पकता है ढाई हजार किलो चावल
हजारों लोगों का पेट भरने के लिए संस्था ने भायखला में 8 हजार वर्ग फुट में किचन बनाया है। पारचंदा ने कहा कि पकाने के लिए इस तरह के अत्याधुनिक उपकरण हैं जिन्हें देखकर मंहगे होटल भी शरमा जाएं। चावल पकाने के लिए जर्मनी से कॉम्बी अवन मशीन मंगाई गई है। इसमें डेढ़ घंटे में ढाई हजार किलो चावल पक जाता है। इस रसोई में 50 लोग काम करते हैं।
कॉर्पोरेट-आम लोगों से मिलती है मदद
अक्षय चैतन्य का रोजाना का खर्च करीब 3 लाख रुपए है। इसके लिए कई कंपनियां मदद करती हैं। आम लोग भी मदद देते हैं। इसी से खर्च चलता है। मुंबई के साथ संस्था अहमदाबाद, हैदराबाद, दिल्ली में भी इसी तरह हजारों जरूरतमंदों को मुफ्त खाना मुहैया कराती है।
Created On :   11 Sept 2023 7:00 AM IST