- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- फाइलों में दफन होकर रह गए सारे...
Jabalpur News: फाइलों में दफन होकर रह गए सारे प्लान, शहर के हिस्से में आई अराजकता और अनियोजित विकास
- रियलिटी: इंदौर, भोपाल, ग्वालियर आगे बढ़ते गए और यहाँ अव्यवस्थित यातायात व पिछड़ापन बन गए जबलपुर की पहचान
- फ्लाईओवर्स व चौड़ी सड़कों के रूप में अब शहर के लिए फिर से प्रयास शुरू हुए हैं, लेकिन व्यवस्थित विकास के लिए समन्वित प्रयास बेहद जरूरी हैं।
Jabalpur News: कभी आजादी के आंदोलन का प्रमुख केन्द्र और प्रदेश की राजधानी बनने का हकदार रहा जबलपुर विकास के लिए छटपटा रहा है। शहर के व्यवस्थित विकास के लिए मास्टर प्लान तो बने लेकिन वे कागजों में दफन होकर रह गए। इन पर कभी गंभीरता से अमल नहीं हुआ। इसमें धनवंतरी नगर से खजरी खिरिया बाईपास तक प्रस्तावित एमआर-4 रोड प्लान के 45 साल बाद भी अस्तित्व में नहीं आ पाई। इसकी प्रस्तावित 9 लिंक रोडों का फाइलों में ही दम घुट गया। बातें खूब हुईं लेकिन अधोसंरचना को मजबूती देने वाले कार्य गति नहीं पकड़ पाए। औद्योगिक विकास को भी रफ्तार नहीं मिल पाई।
नतीजा ये रहा कि इंदौर, भोपाल, ग्वालियर काफी आगे निकल गए। वहाँ मेट्रो ट्रेन की शुरुआत हो रही है और यहाँ तंगहाली के हालात ये हैं कि शहर के ट्रैफिक सिग्नल तक नहीं सुधर पा रहे हैं। अव्यवस्थित यातायात, अनियोजित विकास व औद्योगिक पिछड़ापन जबलपुर की पहचान बन गए हैं। हालाँकि फ्लाईओवर्स व चौड़ी सड़कों के रूप में अब शहर के लिए फिर से प्रयास शुरू हुए हैं, लेकिन व्यवस्थित विकास के लिए समन्वित प्रयास बेहद जरूरी हैं।
हाॅकर्स जोन की कमी सड़कों तक फैले अतिक्रमण
नागरिकों का कहना है कि सड़कों तक फैला अतिक्रमणों का जाल शहर की सबसे समस्याओं में से एक है। इसका एक कारण ये भी है कि यहाँ प्लानिंग के तहत हॉकर्स जोनों का निर्माण नहीं हो पाया। सड़कों तक पसरकर ही फुटकर दुकानें लगाई जा रही हैं। चूँकि इनसे कई परिवारों का रोजगार चल रहा है। इसलिए हॉकर्स जोन के निर्माण को अमल में लाया जाना चाहिए।
आईटीएमएस ठप, ट्रैफिक बेलगाम
शहर में नागरथ चौक, रद्दी चौकी, तैयब अली चौराहा, घमापुर चौक और अधारताल तिराहा सहित कई ट्रैफिक सिग्नल लम्बे समय से बंद पड़े हुए हैं। तिपहिया वाहनों के बेहतर संचालन के लिए बनाई गई ऑटो लेन तक मिट चुकी हैं। सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों पर नजर रखने के लिए चंडालभाटा में स्थापित हुआ आईटीएमएस ( इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) ठप पड़ा है। लेफ्ट टर्नों पर लग रही दुकानें और हाॅकर्स जोनों के अभाव में सड़कों तक फैले अतिक्रमण अराजकता को बढ़ा रहे हैं।
चौथा मास्टर प्लान तीन साल से अटका
जबलपुर का चौथा मास्टर प्लान तीन साल से अधिक समय से अटका हुआ है। इसके कारण शहर के व्यवस्थित विकास को गति नहीं मिल पा रही है। जबलपुर का पहला मास्टर प्लान वर्ष 1979, दूसरा वर्ष 1991 और तीसरा वर्ष 2005 में लागू किया गया था। तीसरा मास्टर प्लान 2021 में समाप्त हो चुका है। इसके कारण शहर की विकास योजनाएँ प्रभावित हो रही हैं।
रिंग रोड कनेक्टिविटी तक का ध्यान नहीं
जबलपुर शहर के चारों तरफ 115 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का निर्माण किया जा रहा है। 3640 करोड़ की लागत से बन रही रिंग रोड का काम मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि शहर के मास्टर प्लान में रिंग रोड को शामिल नहीं किया गया है। इससे रिंग रोड के आसपास मनमाने तरीके से निर्माण कार्य होंगे।
फाइलों में सिमटकर रह गए पर्यटन के प्रोजेक्ट
जबलपुर में पर्यटन की असीम संभावनाएँ हैं, भेड़ाघाट, धुआँधार, बरगी डैम, मदन महल का किला और माँ नर्मदा के नैसर्गिक सौंदर्य से भरी वैली...। इतना ही नहीं कान्हा-किसली, बांधवगढ़, पेंच जैसे नेशनल पार्कों की सीधी कनेक्टिविटी की वजह से देश-विदेश के सैलानियों की आवाजाही सालों से बनी हुई है। इसके बावजूद जबलपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने कोई काम नहीं हो पाया जिसकी जरूरत थी। एमपीटी हो या जिला प्रशासन सभी ने टूरिज्म को लेकर कई प्रोजेक्ट बनाए लेकिन ये सब फाइलों में ही सिमटकर रह गए।
हवाई व रेल कनेक्टिविटी भी जरूरी
शहर के विकास में एयर व रेल कनेक्टिविटी भी काफी मायने रखती है। जबलपुर से पुणे के साथ कोलकाता व चेन्नई की फ्लाइट होना जरूरी है। वहीं ब्रॉडगेज बनने के बाद से ही इस ट्रैक पर नई एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की माँग की जा रही है। शहरवासियों का मानना है कि जबलपुर से वाया गोंदिया होते हुए रायपुर तक वंदेभारत ट्रेन चलाई जाती है तो रायपुर से जबलपुर की सीधी कनेक्टिविटी भी जुड़ जाएगी।
संभावनाएँ बहुत, लेकिन प्लानिंग का अभाव
इंदौर और भोपाल की तरह जबलपुर का औद्योगिक विकास न हो पाने के पीछे वैसे तो कई कारण हैं। लेकिन अच्छी प्लानिंग व प्रचार-प्रसार की कमी इस राह में सबसे बड़ी बाधा है। उद्योगपति डॉ. कैलाश गुप्ता का कहना है कि जबलपुर में आध्यात्मिक टूरिज्म की प्लानिंग कर विकास को रफ्तार मिल सकती है। यहाँ का इतिहास भी आध्यात्मिक टूरिज्म के लिए महत्वपूर्ण है।
यहाँ इतने महत्वपूर्ण स्थल हैं कि आसपास के नेशनल पार्कों में आने वाले पर्यटकों को भी यहाँ राेका जा सकता है। फेडरेशन ऑफ मध्य प्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष हिमांशु खरे का कहना है कि जबलपुर का औद्योगिक रूप में पिछड़ने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि यहाँ के अधोसंरचना का प्रचार-प्रसार प्रदेश, देश तथा विदेश में सही ढंग से नहीं हो पाया। प्लानिंग की कमी, उचित इकोसिस्टम का न होना विकास के प्रमुख बाधक रहे हैं। उद्योग व्यापार का मास्टर प्लान पृथक तौर पर बनना चाहिए जिससे कि एक सोच व परिकल्पना को साकार करने पूरा सिस्टम सक्रिय हो सके।
Created On :   17 Jan 2025 4:51 PM IST