जबलपुर: शहर के बीचों-बीच में आ चुका है माल गोदाम, उड़ती डस्ट की वजह से फैल रहे रोग, आँखें बंद किए बैठे हैं जिम्मेदार

शहर के बीचों-बीच में आ चुका है माल गोदाम, उड़ती डस्ट की वजह से फैल रहे रोग, आँखें बंद किए बैठे हैं जिम्मेदार
कछपुरा मालगोदाम के आसपास बढ़ गईं काॅलोनियाँ वक्त के हिसाब से इसे कहीं और शिफ्ट करना जरूरी

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

वक्त के साथ शहर का लगातार विस्तार हो रहा है। नगर निगम की सीमाएँ इधर तेवर तो उधर सुहागी, महाराजपुर के आगे तक पहुँच गई हैं। काॅलोनियों का सतत विकास हो रहा है, लेकिन शहर के कर्ता-धर्ता और जिम्मेदार जबलपुर की अधोसंरचना व व्यवस्थाओं के विकास की ओर से पूरी तरह आँखें बंद किए हुए हैं। कछपुरा स्थित रेलवे का मालगोदाम इसकी एक जीती जागती बानगी है। बढ़ती आबादी और शहर के विस्तार के साथ कछपुरा मालगोदाम अब शहर के बीचों बीच आ गया है। इसके इर्द-गिर्द तकरीबन 27 कालोनियाँ बसी हुई हैं। इन काॅलोनियों में रहने वाले नागरिक अब कछपुरा मालगोदाम के कारण होने वाली दिक्कतों का खामियाजा भुगत रहे हैं।

दरअसल मालगोदाम तक खनिज और आवश्यक सामग्रियों को लाने-ले जाने के लिए हाइवा व अन्य भारी वाहन इन काॅलोनियों से होकर गुजरते हैं। इनसे जहाँ बड़े हादसों का खतरा बढ़ा है। वहीं इन वाहनों को बिना ढके परिवहन होने से इनसे गिरने वाला डस्ट, आयरनओर व अन्य खनिज इन मार्गों व काॅलोनियों के वातावरण को भी दूषित कर रहा है।

उड़ती डस्ट की वजह से रोग भी फैल रहे हैं लेकिन विडम्बना ही कहें कि इस बड़ी और गंभीर समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। मालगोदाम के आसपास बसी काॅलोनियों में रहने वालों का कहना है कि रेलवे के मालगोदाम को वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए कहीं और गढ़ा स्टेशन के समीप या बायपास में शिफ्ट कर दिया जाना चाहिए।

अब शिफ्ट करना समय की माँग

कछपुरा मालगोदाम के समीप रहने वाले नरसिंग भल्ला, दीपचंद भलावी, दीपक सावलानी का कहना है कि जब यहाँ रहने के लिए घर बनाया था उस वक्त इतनी समस्या नहीं थी, मगर अब यहाँ वाहनों की आवाजाही काफी बढ़ गई है जिसके चलते दिन भर वाहनों की आवाज और शोर-गुल से परेशानी होती है। इसके अलावा यहाँ उड़ने वाले धूल के गुबार घरों के भीतर तक पहुँच रहे हैं। जिससे स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। इस लिहाज से इस मालगोदाम को अब कहीं और शिफ्ट कर दिया जाना चाहिए।

पहले मुख्य स्टेशन के समीप था मालगोदाम

जानकार बताते हैं कि सबसे पहले स्टेशन के निर्माण के दौरान मालगोदाम को स्टेशन के पास ही बनाया गया था। करीब 50 साल पहले यह जबलपुर मुख्य स्टेशन से लगा हुआ था। मगर समय के साथ स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ बढ़ी और इसके विस्तार की बात आई तो मालगोदाम को हटाकर प्लेटफाॅर्म-6 का निर्माण कराया गया। इसके बाद कुछ वर्षो तक यहाँ बाहर की ओर मालगोदाम का संचालन होता रहा। मगर जब यहाँ भीड़ बढ़ने लगी और आवागमन में समस्या आने लगी तो इसे शिफ्ट कर कछपुरा ले जाया गया। बताया जाता है कि जब इसे कछपुरा ले जाया गया था उस वक्त यहाँ खुला मैदान और आसपास खेत के अलावा कुछ नहीं था।

Created On :   16 Dec 2023 2:12 PM IST

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