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जबलपुर: नालों के पक्का करने में पौने चार सौ करोड़ खर्च और वर्क अब भी अधूरा
- अरबों बर्बाद हो गए फिर भी शहर को न जलप्लावन से निजात मिली, न ही गंदगी और मच्छरों से
- स्टॉर्म वाॅटर ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट ही फेल साबित हुआ
- नालों को पक्का करने का ठेका 374.99 करोड़ में दिया गया।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर के अंदर से गंदे पानी की निकासी के लिए स्टॉर्म वाॅटर ड्रेनेज सिस्टम योजना में पौने चार सौ करोड़ खर्च किये गये लेकिन यह योजना 14 साल बीत जाने के बाद भी अधूरी है। नगर निगम ने इस योजना को बड़े ही तामझाम से दावों और वादों के साथ शुरू तो किया लेकिन यह एकदम फेल साबित हुई।
इसका नतीजा यह हुआ कि अरबों खर्च होने के बाद भी शहर को मानसून सीजन से लेकर उसके बाद के दिनों तक जलप्लावन, गंदगी से निजात नहीं मिल सकी। आम दिनों में इन्हीं खुले नालों और गंदगी की वजह से मच्छर शहर के लोगों का जीना मुहाल किये हुए हैं।
अभी गर्मी के दिनों में ही गंदगी से यह हाल है कि बहुमंजिला इमारतों में ऊपरी हिस्सों में तक मच्छर मुसीबत बने हुये हैं। मानसून सिर पर है और नालों की सफाई का क्रम कहीं-कहीं शुरू किया गया है लेकिन नगर निगम की यह छोटी कवायद ही बताती है कि योजना फेल होने का खामियाजा जनता सालों से लगातार भुगत रही है।
नालों के किनारे गंदगी से जीना मुहाल
बारिश के साथ कुछ ऐसी समस्या
इस योजना में अधूरे वर्क के बाद अब यह दशा है कि पहले की तुलना में जलप्लावन की समस्या बढ़ चुकी है। जल जन्य बीमारियाँ लोगों को ज्यादा घेरती हैं। जरा सी बारिश में शहर के करीब एक चौथाई हिस्से में पानी भर जाता है।
शहर के स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम योजना में 34 नाले अधूरे ओमती, शाह, खंदारी, मोती तथा उर्दना को मिलाकर पाँच बड़े और 129 छोटे नालों को शुरुआती दौर में योजना में शामिल किया गया था। इनमें से एक भी नाले का काम सलीके के पूरा नहीं हो सका और न ही गंदगी, मच्छरों से निजात मिल सकी।
कुछ ऐसी थी योजना
नालों को पक्का करने का ठेका 374.99 करोड़ में दिया गया। इसके लिए टेण्डर वर्ष 2010 को जारी हुआ, ढाई साल में इसको पूरा करके देने की शर्ता थी पर अफसोस यह है कि 14 साल बाद भी प्रोजेक्ट में अभी वर्क बाकी है। 5 बड़े और 130 छोटे नालों को सीमेंटेड करना था। रिकाॅर्ड के हिसाब से ही अभी 30 से 40 फीसदी काम बाकी है।
Created On :   20 May 2024 3:16 PM IST