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जबलपुर: माघ मास में कल्पवास करने से जीव को प्राप्त होता है मोक्ष
- पौष पूर्णिमा से प्रारंभ हुआ मास माघ पूर्णिमा तक चलेगा
- इसी महीने में संगम पर कल्पवास भी किया जाता है
- मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान, पौष पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। स्नान और दान कर पुण्य अर्जित करने के लिए माघ का महीना बहुत ही उत्तम माना गया है। मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान, पौष पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है।
इस महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में ढेर सारे धार्मिक पर्व आते हैं, साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है। इसी महीने में संगम पर कल्पवास भी किया जाता है, जिससे व्यक्ति शरीर और आत्मा से नवीन हो जाता है।
ऐसी मान्यता है कि माघ के महीने में सामान्य जल भी गंगाजल के समान हो जाता है, तभी तो इस पवित्र महीने में तीर्थ स्नान, सूर्य देव, माँ गंगा और श्री हरि विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा तट पर कल्पवास कर रहे हैं।
दान का विशेष महत्व- पं. रोहित दुबे, आचार्य वासुदेव शास्त्री के अनुसार माघ मास में दान करने का बहुत महत्व है। पुराणों में अनेकों दान का उल्लेख मिलता है, जिसमें अन्नदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान को श्रेष्ठ माना गया है, यही पुण्य भी है।
दान से इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती है। मन की ग्रथियाँ खुलती हैं, जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता। माघ मास में खिचड़ी, घृत, नमक, हल्दी, गुड़ व तिल का दान करने से महाफल प्राप्त होता है।
युधिष्ठिर ने किया था कल्पवास-
पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री के अनुसार पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक एक माह का कल्पवास होता है। 25 जनवरी से कल्पवास शुरू हो गया है। माघ मास के समय संगम के तट पर निवास को ही कल्पवास कहा जाता है।
संयम, अहिंसा और श्रद्धा ही कल्पवास का मूल आधार होता है। धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए अपने रिश्तेदारों को सद्गति दिलाने के लिए मार्कण्डेय ऋषि के कहने पर कल्पवास किया था।
Created On :   3 Feb 2024 1:03 PM GMT