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चिंता: धड़ल्ले से खोदे जा रहे बोरवेल भविष्य में जल-संकट का खतरा
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। गोंदिया जिले को "तालाबों का जिला' कहा जाता है लेकिन ग्रीष्मकाल में जल संकट की समस्या गहरा जाती है। इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि आवश्यकता नहीं होने पर भी बोरवेल के लिए खुदाई किया जाता है। यहां तक कि 400 फीट तक बोरवेल की खुदाई कर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। बोरवेलो का अधिक निर्माण होने से जल का स्तर नीचे खसक जाता है जिससे ग्रीष्मकाल में तेजी से जलस्त्रोत सूख जाते हैं। बोरवेलो पर पाबंदी लगाई नहंी गई तो भविष्य मंे गांेदिया जिले में पानी के लिए हाहाकार मचने की संभावना है।
बता दें कि गोंदिया जिले को तालाबों का जिला इसलिए कहा जाता है कि ऐसा कोई गांव नहीं जहां पर तालाब ना हो। बताया गया है कि जिले में छोटे से लेकर बड़े प्रकल्पों की संख्या 1500 से अधिक हैं। जिसमंे गांव तालाब, खेत तालाब, मामा तालाब, निजी तालाब, सरकारी तालाब आदि तालाबो का समावेश है। लेकिन समय पर तालाबो की मरम्मत ना होना, विकास के नाम पर तालाबों काे नष्ट करना आदि कारणो को लेकर ग्रीष्मकाल में जल संकट गहरा जाता है। वर्तमान में जिले का भूजल स्तर साढ़े चार मीटर पर है। लेकिन आवश्यकता नहीं होने के बावजूद भी नागरिको द्वारा जनप्रतिनिधियो से बोरवेलो का निर्माण करने की मांग करते हैं। मांग के अनुसार जनप्रतिनिधि भी उनकी मांगांे को मंजूर कर लेते हंै। नियमो के अनुसार बोरवेल की गहराई अधिक से अधिक 200 फीट तक होनी चाहिए। लेकिन 400 फीट तक बोरवेलो की खुदाई की जाती है।
Created On :   11 Nov 2023 5:44 PM IST