गोंदिया: गोदाम में पड़े खरीफ के धान को छोड़ रबी के धान की खरीदी हो गई आरंभ

गोदाम में पड़े खरीफ के धान को छोड़ रबी के धान की खरीदी हो गई आरंभ
  • 40 धान खरीदी केंद्रों पर अब तक 22 हजार क्विंटल धान की हुई खरीदी
  • ग्रीष्मकालीन रबी मौसम की शासकीय खरीदी का काम आरंभ

डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जिले में ग्रीष्मकालीन रबी मौसम की शासकीय खरीदी का काम आरंभ हो गया है। हालांकि खरीफ मौसम में खरीदे गए धान अभी भी गोदामों में ही पड़े हं। जिला मार्केटिंग अधिकारी विवेक इंगले द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जिले में 79 संस्थाओं को रबी मौसम के धान की खरीदी के लिए मंजूरी दी गई है। जिसमें से 40 संस्थाओं ने प्रत्यक्ष में शासकीय धान खरीदी शुरू कर दी है। अब तक 22 हजार क्विंटल धान की खरीदी गई है। जल्द ही अन्य धान खरीदी सेंटर भी शुरू हो जाएंगे। प्रशासन पंजीयन कराने वाले हर किसान का धान शासकीय समर्थन मुल्य पर खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है। ग्रीष्मकालीन बरी मौसम के धान की खरीदी शुरू होने से धान लगाने वाले किसानों राहत मिली है।

गौरतलब है कि मानसून का मौसम शुरू होने को है, लेकिन अब तक खरीप मौसम में खरीदा गया लगभग 27 लाख क्विंटल धान अभी भी शासकीय धान खरीदी केंद्रों के गोदामों में भरा पड़ा है। लाखों क्विंटल धान खुले में भी रखा हुआ है। राईस मिलर्स एवं शासन के बीच मिलिंग की दर एवं परिवहन खर्च की राशि की मांग को लेकर चल रहा गतिरोध अब तक सुलझ नहीं पाया है। जिसके चलते राईस मिलर्स ने खरीफ मौसम का धान शासन से करारनामे कर मिलिंग के लिए उठाना अभी भी शुरू नहीं किया है। गोदाम हाउसफुल होने के कारण रबी मौसम के धान की खरीदी पर भी प्रश्न चिह्न लग गया था। लेकिन धीमी गति से ही क्यों न हो, अब रबी मौसम के धान की खरीदी 40 सेंटरों पर शुरू हो चुकी है। डीएमओ ने जानकारी दी कि जिले के 34 राईस मिलर्स ने करारनामे किए थे। उन्हें बैंक गारंटी के डीडी देकर धान की मिलिंग करने के लिए नोटिस भी दिए गए है।

कुछ मिलर्स ने डीडी भी जमा कराए। लेकिन अभी तक मिलिंग के लिए धान उठाना शुरू नहीं हुआ है। अगले कुछ दिनों में इस मामले का कोई न कोई हल निकलने की उम्मीद उन्होंने जताई है। अब देखना यह है कि पहले से ही धान के गोदाम भरे पड़े हैं, ऐसे में रबी मौसम में कितना धान खरीदा जाता है और उसका भंडारण किस प्रकार होगा? फिलहाल धान खरीदी प्रारंभ तो हो चुकी है। चूंकि धान के शासकीय दर एवं बाजार में मिलने वाले दर में बहुत अधिक अंतर नहीं होने के कारण किसान बड़ी मात्रा में धान शासकीय धान खरीदी सेंटरों पर बेचने की बजाए सीधे व्यापारियों को ही बेच रहे हैं। यह भी एक सत्य है। क्योंकि उन्हें मानसून की फसल के लिए खर्च हेतु नगद राशि की आवश्यकता पड़ती है। जो व्यापारियों से उन्हें तुरंत मिल जाती है।

इसके अलावा रबी मौसम के धान की बिक्री पर बोनस आदि भी नहीं मिलता है। शासकीय खरीदी केंद्रों पर धान बेचने पर भुगतान की राशि के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसीलिए थोड़े नुकसान के बावजूद किसान रबी मौसम का धान व्यापारियों को बेचने को प्राथमिकता दे रहे हंै। इसीलिए शासकीय धान खरीदी केंद्र शुरू होने के बावजूद खरीदी की गति धीमी बनी हुई है।

Created On :   24 May 2024 5:48 PM IST

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