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बजट से आस: उजड़े कोयलांचल को नई खदानें, रेल यात्रियों को चाहिए नई ट्रेनों के साथ सुविधाएं
- केंद्र सरकार २३ जुलाई को अपना वार्षिक बजट पेश करने वाली है
- उजड़े कोयलांचल को नई खदानें
- रेल यात्रियों को चाहिए नई ट्रेनों के साथ सुविधाएं
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। केंद्र सरकार २३ जुलाई को अपना वार्षिक बजट पेश करने वाली है। इस बजट से छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले को भी बड़ी उम्मीदें हैं। सबसे ज्यादा कोयलांचल के लोग और रेल यात्री आने वाले बजट से आस लगाए बैठे हैं। कभी एक साथ १४ अंडरग्राउंड खदानों से कोयला निकालने वाले वेकोलि के पेंच व कन्हान क्षेत्र में अब बमुश्किल ६ खदानें चल रही हैं। दो खदानें तो महज पर्यावरणीय एनओसी के लिए बंद पड़ी हैं। नई खदानों का ठिकाना नहीं है। यहां नैरोगेज से ब्रॉडगेज और इलेक्टिफिकेशन का काम तो हो गया है, लेकिन लंबी दूरी की बड़ी रेल गाडिय़ां नहीं चल रही है। दोहरी लाइन व पिट लाइन की दरकार भी है। संभावनाओं के बावजूद न तो ट्रेनों के फेरे बढ़े और न ही नई टे्रनें शुरू हो पाई हैं। प्रदेश के दूसरे छोटे जिले हवाई सुविधाओं से जुड़ गए हैं लेकिन छिंदवाड़ा उपेक्षित है। हाइवे के फोरलेन में तब्दील होने का भी इंतजार है।
कोयला खदानें:
- वेकोलि के कन्हान क्षेत्र में सिर्फ १ तो पेंच क्षेत्र में ५ खदानों से उत्पादन हो पा रहा है। ऐसे में क्षेत्र में नई कोयला खदानें शुरू की जानी चाहिए।
- क्षेत्र में अंबाड़ा में नारायणी, पालाचौरई से कल्याणी, विष्णुपुरी और ठिसगोरा ओपन कास्ट खदानें प्रस्तावित हैं, जिन्हें शुरू किया जाना चाहिए।
- अंडरग्राउंड जमुनिया पठार कोयला खदान में सालों से काम चल रहा है, लेकिन मिट्टी धंसने के कारण की वजह से उत्पादन नहीं हो पा रहा है। उक्त खदान को शुरू करने के उपाए किए जाने चाहिए।
- महज पर्यावरणीय एनओसी न मिलने की वजह से कन्हान क्षेत्र की मुआरी और तानसी अंडरग्राउंड कोयला खदान बंद पड़ी है। पेंच की महादेवपुरी
खदान छह माह तक बंद रहने के बाद अब शुरू हो पाई है।
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रेल सुविधाएं:
- छिंदवाड़ा से सागर तक २७९ किमी ट्रेन मार्ग का हो चुका सर्वे सालों पहले हो चुका है, लेकिन नई लाइन पर काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है।
- छिंदवाड़ा से आमला, छिंदवाड़ा से नागपुर और छिंदवाड़ा से जबलपुर तक ट्रेक का दोहरीकरण की जरुरत है। ट्रेफिक क्षमता बढऩे से ट्रेनें भी चलाई जा सकेंगी।
- पांढुर्ना में कोविड काल के पहले करीब २० जोड़ी अप डाउन ट्रेनों का स्टापेज था, सभी बंद हो गया। सिर्फ ८ जोड़ी चालू हो पाई। उत्तर भारत की सभी ट्रेनों का स्टापेज नहीं है। दादाधाम एक्सप्रेस के स्टॉपेज की मांग है।
- छिंदवाड़ा नागपुर ट्रैक और इसके बाद छिंदवाड़ा नैनपुर मंडला जबलपुर टै्रक के जरिए उत्तर पूर्व को जोडऩे वाली ट्रेनों की सौगात मिले।
- मैमू ट्रेन आमला से छिंदवाड़ा चल रही है जिसे चौरई से छिंदवाड़ा के बीच भी चलाया जाना चाहिए।
- प्रस्ताव के बावजूद नई टे्रनों में चित्रकूृट एक्सप्रेस लखनऊ जबलपुर के बाद छिंदवाड़ा तक बढ़ाया जाना है, सेवाग्राम ट्रेन भी प्रपोजल में ही अटकी हुई है।
- नागपुर से उज्जैन के लिए प्रतिदिन चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को व्हाया छिंदवाड़ा चलाया जाना चाहिए।
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एयर कनेक्टिविटी:
- केंद्र के नागरिक उड्डयन विभाग ने वर्ष २०१६ में रीजनल कनेक्टिविटी के तहत उड़ान योजना शुरू की थी। छिंदवाड़ा कृषि, उद्योग, वनोपज समेत सभी मामलों में समृद्ध है, बावजूद इसके छिंदवाड़ा को योजना से नहीं जोड़ा गया।
- यहां पुरानी इमलीखेड़ा हवाई पट्टी के स्थान पर ग्राम टिकाड़ी में नई एयरस्ट्रिप प्रस्तावित की गई थी। राइट्स ने सर्वे कर रिपोर्ट भी दे दी थी, शासन ने डीपीआर के लिए बजट में प्रावधान भी किया था लेकिन कहानी आगे नहीं बढ़ सकी।
हाइवे और आंतरिक सडक़ें:
- नेशनल हाइवे ५४७ के जरिए छिंदवाड़ा जिला नरसिंहपुर और सावनेर से जुड़ा है। वहीं एनएच ३४७ छिंदवाड़ा को सिवनी और मुलताई से जोड़ता है। खासतौर पर छिंदवाड़ा से सिवनी और छिंदवाड़ा से नागपुर को फोरलेन में तब्दील करने की जरूरत है।
- प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ों का जाल जिले में है, लेकिन डबल कनेक्टिविटी के लिए सडक़ों की दरकार है। करीब ३०० से ज्यादा सडक़ें हैं जिन्हें दोहरी संपर्कता के दायरे में लाकर बनाया जा सकता है। पीएम जनमन योजना के तहत भी सडक़ों की जिले को दरकार है।
Created On :   22 July 2024 10:39 AM IST